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मंदिर निर्माण जरूरी पर बलपूर्वक कुछ नहीं होगाः स्वामी

दिल्ली विश्वविद्यालय में राम मंदिर के निर्माण पर आयोजित सम्मेलन में भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि कोई भी कार्य बलपूर्वक या कानून के खिलाफ नहीं किया जाएगा। सम्मेलन को लेकर विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के जारी विरोध के बीच स्वामी ने कहा, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हमारी संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए जरूरी है और जब तक इसका निर्माण नहीं होता है तब तक हम इसे नहीं छोड़ेंगे।
मंदिर निर्माण जरूरी पर बलपूर्वक कुछ नहीं होगाः स्वामी

स्वामी ने जोर देते हुए कहा कि लेकिन कोई भी कार्य बलपूर्वक और कानून के खिलाफ नहीं किया जाएगा। हमें पूरा विश्वास है कि अदालत में हम जीतेंगे। उन्होंने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को समर्थन देने का वादा किया था। स्वामी ने कांग्रेस से अपील की कि वे इसके समर्थन में आगे आएं। उन्होंने कहा, राजीव गांधी ने निजी तौर पर उनसे कहा था कि राम मंदिर का निर्माण होगा और जब भी उन्हें मौका मिलेगा, वह इसमें मदद करेंगे और पार्टी के विरोध के बावजूद उन्होंने जो पहली मदद की, वह टेलीविजन पर रामायण का प्रसारण शुरू करने का था। स्वामी ने कहा, 1989 में अपने चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने कहा था कि देश में राम राज्य आना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस आगे आएगी और समर्थन करेगी क्योंकि यह केवल हमारी मांग नहीं बल्कि देश की मांग है। दिवंगत विहिप नेता अशोक सिंघल द्वारा स्थापित अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ नामक शोध संस्थान ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय में श्री राम जन्मभूमि मंदिर: उभरते परिदृश्य शीर्षक से दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया है। 

 

स्वामी ने इसी सप्ताह कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का कार्य इस वर्ष के अंत तक शुरू हो जाएगा और यह मुस्लिम समुदाय के सहयोग से होगा। भाजपा नेता ने दावा किया था, हमारे देश में 40 हजार से अधिक मंदिर ध्वस्त किए गए हैं, हमने कभी यह नहीं कहा कि इनका पुननिर्माण किया जाना चाहिए लेकिन हम इनमें से तीन, राम जन्मभूमि मंदिर, मथुरा में कृष्ण मंदिर और काशी विश्वनाथ पर समझौता नहीं कर सकते। अगर राम मंदिर बनता है तब दूसरों के लिए मार्ग प्रशस्त होगा। विश्वविद्यालय के कला संकाय में रामजन्म भूमि मंदिर पर दो दिवसीय सेमिनार आयोजित करने के खिलाफ विभिन्न संगठनों के कई प्रदर्शनकारियों ने विरोध जताया जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। आयोजन स्थल का घेराव करने और बाधा पैदा करने पर कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया।

 

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