जातीय जनगणना को संसद में लेकर कांग्रेस और भाजपा में मंगलवार को तीखी बहस हुई थी। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया तो भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनुराग ठाकुर ने उनकी जाति पूछ ली। बीच में समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव भी कूद पड़े। उन्होंने कहा कि कोई जाति कैसे पूछ सकता है? इस पर संसद में तीखी बहस हुई और हंगामा हो गया, अब कांग्रेस और भाजपा के बीच हुई इस बहस को बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने नाटकबाजी करार दिया है।
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया है कि कल संसद में ख़ासकर जाति व जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस व बीजेपी आदि में जारी तकरार नाटकबाजी है। ओबीसी समाज को छलने की कोशिश है, क्योंकि इनके आरक्षण को लेकर दोनों ही पार्टियों का इतिहास खुलेआम व पर्दे के पीछे भी घोर ओबीसी-विरोधी रहा है। इन पर विश्वास करना ठीक नहीं है।
बीएसपी के प्रयासों से यहां लागू हुई ओबीसी आरक्षण की तरह ही राष्ट्रीय जातीय जनगणना जनहित का एक खास राष्ट्रीय मुद्दा है जिसके प्रति केन्द्र को गंभीर होना जरूरी है। देश के विकास में करोड़ों ग़रीबों-पिछड़ों व बहुजनों का भी हक है जिसकी पूर्ति में जातीय जनगणना की अहम भूमिका है।
मायावती ने इस पोस्ट से एक बार फिर केंद्र सरकार से जातीय जनगणना कराने की मांग कर दी है। उनका कहना है कि जातीय जनगणना से ही सभी जातियों और वर्गों को उनका हक मिलना संभव हो सकेगा। केंद्र सरकार को इसके प्रति गंभीरता दिखानी चाहिए, जातीय जनगणना को लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो यहां तक कह दिया कि हम किसी भी कीमत पर जातीय जनगणना कराकर ही रहेंगे। हालांकि अभी केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना पर अपना रूख साफ नहीं किया है।