बसपा प्रमुख मायावती के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने और कांग्रेस के कुछ नेताओं पर गठबंधन नहीं होने देने के आरोप के बाद राजनीति गरमा गई है। गठबंधन न होने के आरोपों पर मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि मायावती जरूरत से ज्यादा और हारने वाली सीटें मांग रही थीं जिससे भाजपा को सीधा फायदा होने वाला था।
कमलनाथ ने कहा कि मायावती जी का अपना स्टैंड है और हमारा अपना। वह भी चाहती हैं कि भाजपा को हराया जाए लेकिन वह जितनी सीटें मांग रही थीं, उतनी सीटें देना हमारे नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को मंजूर नहीं था। यह पूछे जाने पर कि क्या बसपा के साथ गठबंधन की संभावनाएं अभी बची हैं, इस पर कांग्रेस नेता ने कहा, 'राजनीति में सबकुछ संभव है।'
कमलनाथ ने कहा कि साल 2013 में मायावती को छह फीसदी वोट मिले थे और उनके चार विधायक जीते थे। ऐसे में 50 सीटें मांगना ठीक नहीं लगा। मायावती जिन सीटों पर 2013 में 25 हजार वोट पाई थीं, वह उन सीटों को नहीं मांग रही थीं बल्कि ऐसी सीटें मांग रही थीं जहां उनका प्रदर्शन ठीक नहीं था। इससे सीधा फायदा भाजपा को होता और भाजपा को हम दान में 50 सीटें नहीं दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले गठबंधन को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव से बात हुई थी।
बसपा ने कांग्रेस नेताओं पर फोड़ा ठीकरा
मायावती ने बुधवार को मध्य प्रदेश और राजस्थान में गठबंधन न होने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह जैसे नेता नहीं चाहते कि गठबंधन हो। उन्होंने दिग्विजय सिंह को भाजपा और आरएसएस का एजेंट तक बताया। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि कांग्रेस इस मुगालते में है कि वह भाजपा को अकेले रहा देगी।
मायावती द्वारा आरएसएस का एजेंट बताए जाने पर दिग्विजय सिंह ने कहा, 'यह सवाल आप उनसे पूछिए। मैं मोदी जी, अमित शाह जी, भाजपा और आरएसएस का कटु आलोचक रहा हूं। राहुल गांधी हमारे कांग्रेस अध्यक्ष हैं। हम उनके निर्देशों का पालन करते हैं।'