पूर्व राष्ट्रपति, भारत रत्न प्रणब मुखर्जी का 84 साल की उम्र में निधन हो गया है। लगभग 6 दशक तक के अपने सियासी जीवन में प्रणब मुखर्जी ने हर वो मंत्रालय और पद संभाला है, जो राजनीतिक जीवन में काफी अहम माना जाता है। इंदिरा गांधी के सहयोग से राजनीति में प्रवेश करने वाले प्रणब मुखर्जी कांग्रेस का सबसे बड़ा और भरोसेमंद चेहरा भी बने। उनके निधन से कांग्रेस नेताओं में भी शोक व्याप्त है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया की बहुत दुख के साथ, देश को हमारे पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के दुर्भाग्यपूर्ण निधन की खबर मिली। मैं उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। शोक संतप्त परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी गहरी संवेदना।
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में उनका योगदान इतिहास के सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। वो अपने आप में एक इनसाइक्लोपीडिया थे। ऐसे शख्स राजनीति में बहुत कम दिखते हैं। कांग्रेस पार्टी के वो भीष्म पितामह थे। उनकी सहमति के बिना कांग्रेस पार्टी कोई फैसला नहीं ले सकती थी।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ बताते हैं, "प्रणब दा से मेरे पुराने संबंध थे, जब मैं नौजवान था और फुल टाइम राजनीति में भी नहीं आया था, तब से उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया है। 1979 में उन्होंने मुझे चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया। उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है। मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं ।"
गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि प्रणब मुखर्जी जी के निधन पर बहुत दुख हुआ है। उनके काम को लोग हमेशा याद रखेंगे। देश ने एक बहुत अच्छा देशभक्त सपूत खो दिया है। हम प्रार्थना करेंगे कि उनकी आत्मा को शांति मिले। उनके बेटे और बेटी को साहस मिले।
पार्टी के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी बताते हैं कि कांग्रेस की परंपरा में इस समय प्रणब जी अकेले व्यक्ति थे जिनके साथ इतिहास, संस्कृति एवं राजनीति के व्यापक पक्षों पर लंबा संवाद हो सकता था । यह अपूरणीय क्षति है। मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है। सरकार जब भी संकट में आती थी तो एक संकट मोचक के रूप में उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। मैं छत्तीसगढ़ की जनता की ओर से उन्हे विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।