Advertisement

राहुल गांधी की बिलकिस बानो को न्याय की मांग, कहा- 'बेटी बचाओ' जैसे खोखले नारे देने वाले, बलात्कारियों को बचा रहे

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को गुजरात दंगों की पीड़िता बिलक़ीस बानो के लिए न्याय...
राहुल गांधी की बिलकिस बानो को न्याय की मांग, कहा- 'बेटी बचाओ' जैसे खोखले नारे देने वाले, बलात्कारियों को बचा रहे

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को गुजरात दंगों की पीड़िता बिलक़ीस बानो के लिए न्याय की मांग करते हुए आरोप लगाया कि ‘‘बेटी बचाओ'' जैसे खोखले नारे देने वाले लोग ‘‘बलात्कारियों को बचा'' रहे हैं। वहीं, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा ने गुरूवार को गुजरात दंगों की पीड़िता बिल्कीस बानो के लिए न्याय की मांग की और कहा कि 2002 के सामूहिक बलात्कार व उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए 11 लोगों की रिहाई पर सरकार ने चुप्पी साधकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।

गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत पिछले दिनों 15 अगस्त को गोधरा उप कारागार से इस मामले के 11 दोषियों को रिहा किया गया था।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, ‘बेटी बचाओ जैसे खोखले नारे देने वाले, बलात्कारियों को बचा रहे हैं। आज सवाल देश की महिलाओं के सम्मान और हक का है। बिलक़ीस बानो को न्याय दो।'

साथ ही, प्रियंका ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘बलात्कार की सजा पा चुके 11 लोगों की रिहाई, कैमरे पर उनके स्वागत-समर्थन में बयानबाजी पर चुप्पी साधकर सरकार ने अपनी लकीर खींच दी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन देश की महिलाओं को संविधान से आस है। संविधान अंतिम पंक्ति में खड़ी महिला को भी न्याय के लिए संघर्ष का साहस देता है। बिल्किस बानो को न्याय दो।’’

कांग्रेस नेता का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इन 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हो रही है। उच्चतम न्यायालय ने दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर गुजरात सरकार और केंद्र को नोटिस जारी किया।

गौरतलब है कि माफी नीति के तहत गुजरात सरकार ने इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा के उप कारागार से रिहा कर दिया गया था, जिसकी विपक्षी पार्टियों ने कड़ी निंदा की थी।

मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी 2008 को सभी 11 आरोपियों को बिल्कीस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या और उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। बाद में इस फैसले को बंबई उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा था।

इन दोषियों को उच्चतम न्यायालय के निर्देश के तहत विचार करने के बाद रिहा किया गया। शीर्ष अदालत ने सरकार से वर्ष 1992 की क्षमा नीति के तहत दोषियों को राहत देने की अर्जी पर विचार करने को कहा था।

इन दोषियों ने 15 साल से अधिक कारावास की सजा काट ली थी जिसके बाद एक दोषी ने समयपूर्व रिहा करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस पर शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को मामले पर विचार करने का निर्देश दिया था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad