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उत्तराखंड: हरीश रावत के दावे पर रार, कांग्रेस और भाजपा में ठनी

कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें कथित तौर पर एक व्यक्ति को...
उत्तराखंड: हरीश रावत के दावे पर रार, कांग्रेस और भाजपा में ठनी

कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें कथित तौर पर एक व्यक्ति को आर्मी सेंटर में कई डाक मतपत्रों पर टिक करते और हस्ताक्षर करते हुए दिखाया गया है।

मंगलवार को अपने ट्विटर हैंडल और फेसबुक पर वीडियो को साझा करते हुए रावत ने कहा, "सभी की जानकारी के लिए एक छोटा वीडियो साझा कर रहा हूं। यह दिखाता है कि कैसे आर्मी सेंटर में एक आदमी कई मतपत्रों पर टिक कर हस्ताक्षर कर रहा है। क्या चुनाव आयोग इस पर संज्ञान लेगा?"

ट्वीट के बारे में पूछे जाने पर रावत के प्रवक्ता सुरेंद्र कुमार ने वीडियो के स्रोत का खुलासा करने से इनकार कर दिया, लेकिन दावा किया कि यह उत्तराखंड का है।

उन्होंने कहा कि पार्टी ने अभी तक इस संबंध में चुनाव आयोग से औपचारिक शिकायत नहीं की है, लेकिन वह इसका स्वत: संज्ञान ले सकती है।

कांग्रेस नेताओं ने इसे "लोकतंत्र का मजाक" करार दिया और चुनाव आयोग से वीडियो का संज्ञान लेने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया।

रावत के ट्वीट को प्रदेश कांग्रेस ने रीट्वीट किया है।

उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रीतम सिंह ने कहा, "लोकतंत्र का मजाक बनाने वाले इस वीडियो में सेना के एक केंद्र पर एक व्यक्ति अपनी पसंद की पार्टी के पक्ष में कई डाक मतपत्रों पर टिक करता और हस्ताक्षर करता दिखाई दे रहा है।"

सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग को इसका संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा ने इसे कांग्रेस की हताशा करार देते हुए कहा कि पार्टी ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि वह हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में अपनी हार देख रही है।

प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने यह जानकारी दी, "कांग्रेस इस तरह की रणनीति का सहारा ले रही है क्योंकि उसे पता है कि वह लोगों को गुमराह करने में विफल रही है। अपनी आसन्न हार के सामने जो पार्टी पहले ईवीएम में हेरफेर की बात कर रही थी वह अब मतपत्रों के बारे में बात कर रही है। यह पार्टी की हताशा को दर्शाता है ।"

चौहान ने कहा कि सेना को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए और कांग्रेस को इस तरह के आरोपों की सत्यता की जांच किए बिना इस तरह के आरोप लगाने से बचना चाहिए।

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