पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक नया सियासी अंदाज सामने आया है। उनका कहना है कि जब कोई सीएम हटाया जाता है तो सवाल खड़े होना लाजिमी है। अब ये पार्टी लीडरशिप की जिम्मेदारी है तो अवाम को इस सवाल का जवाब दे।
भाजपा हाईकमान ने मार्च माह में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को अचानक मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा दिया था। हालात ये बने कि त्रिवेंद्र को चार सालाना जश्न मनाने तक का मौका नहीं दिया गया। कुछ समय पर शांत रहने के बाद त्रिवेंद्र ने पहले तो अपने फैसलों को बदलने पर सवाल खड़े किए। फिर प्रदेशभर में दौरा करके भांपा कि कितना समर्थन उन्हें मिल रहा है।
अब त्रिवेंद्र एक नए अंदाज में सामने आए हैं। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार त्रिवेंद्र का कहना है कि जब कोई मुख्यमंत्री हटाया जाता है तो सवाल तो खड़े होते हैं। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं को फैसले का सम्मान करना चाहिए। लेकिन जब हटाए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हों तो इनका जवाब देने की जिम्मेदारी पार्टी लीडरशिप की है। त्रिवेंद्र ने एक बार फिर दोहराया है कि मैंने शपथ लेते ही कहा था कि भ्रष्टाचार मुख्त सरकार देंगे। मैंने इस पर केवल बयानबाजी ही नहीं की, बल्कि दिल से काम लिया। और भ्रष्टाचार विरोधी फैसले किए।
एक तरफ भाजपा चुनावी की तैयारियों की ओर बढ़ रही है तो दूसरी ओर त्रिवेंद्र का पार्टी लीडरशिप के बारे में इस तरह बात करना तमाम सवाल खड़े कर रहा है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या इस बयान के पीछे त्रिवेंद्र के कुछ गहरे सियासी निहितार्थ और आने वाले समय में प्रदेश भाजपा में कुछ नया देखने को मिल सकता है।