मीडिया में सामने आए राजस्थान सरकार के दस्तावेजों से इस बात का खुलासा हुआ है। लंदन में ललित मोदी के पक्ष में गवाही देने के मामले में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पहले ही विवादों में घिरी हैं। वसुंधरा के पुत्र दुष्यंत सिंह की कंपनी में ललित मोदी के 11.63 करोड़ रुपये के निवेश का मामला राजनीतिक तौर पर तूल पकड़ चुका है।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, वर्ष 2007 में राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार की ओर से ललित मोदी को पद्म पुरस्कार दिलवाने की कोशिश की गई है। राजस्थान क्रीडा परिषद के जरिये ललित मोदी को पद्म पुरस्कार दिलाने के लिए दो प्रस्ताव भेज गए थे। एक बार अकेले ललित मोदी का नाम था जबकि बार तीरंदाज लिंबाराम के साथ ललित मोदी को खेल व बिजनेस के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म पुरस्कार की सिफारिश की गई। हालांकि, तब इनमें से किसी को भी पुरस्कार नहीं मिला। लेकिन इस मामले से वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल में ललित मोदी पर हुई मेहरबानी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2007 में राजस्थान क्रीडा परिषद के तत्कालीन सचिव यूडी खान ने राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के सचिव सुभाष जोशी से ललित मोदी के पद्म पुरस्कार के लिए आवेदन मांगा था। उस समय ललित मोदी ललित मोदी आरसीए के अध्यक्ष थे। 28 जुलाई, 2007 को परिषद ने राजस्थान सरकार के खेल विभाग के प्रमुख शासन सचिव को आगे की कार्यवाही के लिए पत्र भिजवा दिया था। भास्कर के पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार, तब मोदी की दो तरह से सिफारिश भेजी गई। एक केवल मोदी के लिए और दूसरी अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज लिंबाराम के साथ। तब दोनों को ही अवॉर्ड नहीं मिला।