कर्नाटक में इस समय कांग्रेस और जनता दल सेकुलर (जेडीएस) की गठबंधन वाली सरकार चल रही है जिसमें कई विधायक अंसतुष्ट बताए जा रहे हैं। सरकार बचाने की कोशिश के तहत कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को बेंगलुरू में असंतुष्ट विधायकों से मुलाकात की।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य प्रभारी केसी वेणुगोपाल मंगलवार को बेंगलुरू पहुंचे और असंतुष्ट विधायकों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की।
नतीजों के बाद शुरू हुई बयानबाजी
लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद पिछले सप्ताह कांग्रेस पर दो राज्यों में अपनी सरकारों का बचाने संकट बताया जा रहा है। चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी नेताओं की बयानबाजी शुरू हो गई थी कि मध्य प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकारें कभी भी गिर सकती हैं।
कर्नाटक के मसले को सुलझाने के लिए केसी वेणुगोपाल के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को भी कर्नाटक का दौरा करना था, लेकिन राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश के बाद पैदा हुए राजनीतिक हालात के मद्देनजर उनका दौरा रद्द हो गया।
रिक्त पदों को भरने का दबाव
गठबंधन के नेता सरकार को बचाने के लिए कुमारस्वामी कैबिनेट का विस्तार करने या कैबिनेट में बदलाव करने की योजना बना रहे हैं। सिद्धारमैया ने मंगलवार को कहा था कि कैबिनेट में तीन पद रिक्त हैं, जिन्हें भरने के लिए यह विस्तार किया जाएगा। वहीं ऐसी खबरें भी आई हैं कि असंतुष्ट चल रहे विधायकों को मंत्री बनाने के लिए कुछ मंत्रियों से इस्तीफा भी मांगा जा सकता है। कैबिनेट के 34 पदों में 22 कांग्रेस के पास हैं जबकि 12 जेडीएस के हिस्से में हैं। फिलहाल, जेडीएस के हिस्से के दो और कांग्रेस के खाते का एक पद खाली है।
जारी है सियासी ड्रामा
कर्नाटक की 224 सदस्य वाली विधानसभा में भाजपा के105 विधायक हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 117 सदस्य हैं जिनमें कांग्रेस के 78 और जेडीएस के 37 विधायक हैं। इनके अलावा एक विधायक निर्दलीय है और एक बसपा का है। राज्य में सरकार गठन के बाद से ही सियासी ड्रामा जारी है। इससे पहले भी भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे पर पार्टी के विधायकों को हाई जैक करने और खरीद फरोख्त का आरोप लगाया था।