लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए बुधवार को मतदान होगा।
प्रदेश की नौ सीटों अंबेडकरनगर में कटेहरी, मैनपुरी में करहल, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद में मीरापुर, मिर्जापुर में मझवां, कानपुर नगर में सीसामऊ, अलीगढ़ में खैर, प्रयागराज में फूलपुर और मुरादाबाद में कुंदरकी सीटों पर 20 नवंबर को उपचुनाव होंगे और नतीजे 23 नवंबर को आएंगे।
इनमें से आठ सीटें मौजूदा विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हुई हैं, जबकि सीसामऊ में मौजूदा सपा विधायक इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उपचुनाव हो रहा है।
उपचुनाव में कुल 90 उम्मीदवार मैदान में हैं। सबसे ज्यादा 14 उम्मीदवार गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र से मैदान में हैं। वहीं, सबसे कम पांच-पांच उम्मीदवार खैर (सुरक्षित) और सीसामऊ सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी सीटों पर सपा ने जीत हासिल की थी जबकि भाजपा ने फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर पर जीत हासिल की थी। मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल के पास थी, जो अब भाजपा की सहयोगी है। कांग्रेस उपचुनाव नहीं लड़ रही है और इंडिया गठबंधन की अपनी सहयोगी सपा का समर्थन कर रही है। बहुजन समाज पार्टी अपने दम पर सभी नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने गाजियाबाद, कुंदरकी और मीरापुर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि चंद्रशेखर की आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने सीसामऊ को छोड़कर सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
उपचुनावों के नतीजों का 403 सदस्यीय उप्र विधानसभा पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह विभिन्न राजनीतिक दलों को एक संदेश देगा। सपा जहां सदन में अपनी संख्या बढ़ाने का लक्ष्य रखेगी, वहीं भाजपा और उसकी सहयोगी रालोद विधानसभा में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने की कोशिश करेगी।
वर्तमान में विधानसभा में भाजपा के 251 विधायक हैं, जबकि सपा के 105 विधायक हैं। भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के 13 विधायक हैं, रालोद के 8 विधायक हैं, सुभासपा के 6 विधायक हैं और निषाद पार्टी के 5 विधायक हैं। कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो-दो विधायक हैं, जबकि बसपा का एक विधायक है। वर्तमान में दस सीटें खाली हैं।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को मतदाताओं से अपनी पार्टी के लिए वोट करने की अपील की। सपा के एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘मैं अपने सभी मतदाताओं, खासकर युवा किसानों से मदद करने के लिए कहना चाहूंगा। प्रशासन केवल चुनावों में गड़बड़ी पैदा कर सकता है। मुझे उम्मीद है कि प्रशासन बाबा साहब भीमराव आंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को बचाने के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करेगा।’
उप्र भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने मंगलवार को सपा पर निशाना साधते हुए कहा, ”समाजवादी पार्टी उपचुनाव हारने से डर रही है। अखिलेश यादव हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़कर जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं। हार के डर से सपा चुनाव आयोग से यह बचकानी मांग कर रही है कि पहचान पत्र न जांचे जाएं। जबकि पहले भी बुर्का पहनकर फर्जी मतदान करती महिलाएं पकड़ी जा चुकी हैं।”
शुक्ला सपा की उप्र इकाई के अध्यक्ष श्यामलाल पाल द्वारा हाल ही में लिखे गए पत्र का हवाला दे रहे थे, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग से यह निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था कि ”मतदान के दिन कोई भी पुलिसकर्मी मतदाता के पहचान पत्र की जांच न करे।”
पाल ने रिटर्निंग अधिकारियों के लिए पुस्तिका का हवाला देते हुए कहा कि मतदान के दिन मतदान अधिकारी मतदाता का पहचान पत्र जांच सकते हैं।
रालोद प्रवक्ता अंकुर सक्सेना ने कहा कि उनकी पार्टी मीरापुर सीट बरकरार रखने जा रही है, जबकि राजग उपचुनाव वाली सभी सीटों पर जीत दर्ज करके क्लीन स्वीप करेगा।
उप्र कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष हिंदवी ने कहा, ‘प्रदेश की जनता ने लोकसभा चुनाव में अपनी पसंद स्पष्ट कर दी है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी को सबसे अधिक सीटें मिली हैं। यह गति निश्चित रूप से उपचुनावों में भी जारी रहेगी।’