कर्नाटक विधानसभा चुनाव को अब अधिक समय शेष नहीं रह गया है। लेकिन कांग्रेस और भाजपा की चुनावी उठा पठक जस की तस बनी हुई है। कांग्रेस ने एक विज्ञापन में भाजपा के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया तो इस दावे पर चुनाव आयोग ने कांग्रेस से सबूत मांग लिए। इसके एक दिन बाद ही राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने रविवार को चुनाव आयोग से पूछ लिया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सबूत मांगा ? उन्होंने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार और आतंकवाद से जुड़े लोगों के साथ काम करने का आरोप लगाया था।"
बता दें कि चुनाव आयोग ने भाजपा को निशाना बनाने वाले समाचार पत्रों में प्रकाशित "भ्रष्टाचार दर कार्ड" विज्ञापनों पर कर्नाटक कांग्रेस को नोटिस जारी किया है। आयोग ने आरोपों को साबित करने के लिए पार्टी को रविवार शाम तक का समय दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा दर्ज कराई गई एक शिकायत के बाद शनिवार को यह नोटिस जारी किया गया।
इसके उपरांत अब वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, "चुनाव आयोग ने भाजपा के खिलाफ भ्रष्टाचार के दावों के लिए कांग्रेस से सबूत मांगा। लेकिन प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर आतंकवाद से जुड़े लोगों के साथ काम करने का आरोप लगाया तो सबूत मांगा ?"
कपिल सिब्बल लिखते हैं, "क्या ऐसा है कि चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री से सबूत मांगने की हिम्मत ही नहीं जुटाई?" याद रहे पूर्व में देश के केंद्रीय मंत्री रहे सिब्बल ने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी और समाजवादी पार्टी के समर्थन से एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए थे। ज्ञात हो कि शनिवार को कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
शिकायत में कांग्रेस ने "कांग्रेस ने वोट बैंक के लिए आतंकवाद की रक्षा की" बयान को आधार बनाया और कहा कि उन्होंने "लक्ष्मण रेखा" पार कर ली है। इस दौरान कांग्रेस ने बेल्लारी में मोदी के भाषण की प्रतियां भी दीं और दावा किया कि उन्होंने कहा था, "...कांग्रेस ने वोट बैंक के लिए आतंकवाद का बचाव किया है..."। ऐसे में कपिल सिब्बल के ट्वीट ने चुनाव आयोग के लिए सवाल खड़े किए हैं। देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में और क्या क्या होता है।