कांग्रेस उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एक नया अवतार लेने की कोशिश में है। इसके लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बार चुनाव जीताने में की शोहरत प्राप्त प्रशांत किशोर को साथ जोड़ने का फैसला किया है। आज दिल्ली में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व के साथ एक अहम बैठक में प्रशांत किशोर का शामिल होना, बड़े बदलावों की शुरुआत का संकेत है।
प्रशांत किशोर, जो 2014 में भाजपा और खासतौर से नरेंद्र मोदी के प्रचार के जिम्मेदार थे, वही बिहार में नीतीश कुमार की वापसी के पीछे भी उनकी अहम भूमिका का दावा किया गया। अब उत्तर प्रदेश और उसके बाद पंजाब में कांग्रेस की नैया उबारने का ठेका प्रशांत किशोर को देकर राहुल गांधी अपने गिरते ग्राफ को संभालने कोशिश कर रहे हैं। अभी यह बैठक चल रही है। कांग्रेस के नेताओं के अनुसार पहले राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के पार्टी की जीत का नक्शा प्रशांत किशोर से चाहते हैं। इस पर वह उत्तर प्रदेश की टीम को साथ में लेकर इसे क्रियान्वयित करेंगे।
कांग्रेस की चुनावी रणनीति में प्रशांत किशोर की जगह आज की अहम बैठक के बाद ही तय होगी। बताया जाता है कि राहुल गांधी यह फैसला कर चुके हैं कि प्रशांत किशोर की मदद से ही चुनावी समर में उतरना है। लेकिन अभी प्रशांत किशोर की शर्तों को लेकर अड़चन है। प्रशांत किशोर सारी चीजों की कमान अपने हाथ में रखना चाहते हैं। यहां तक कि वह पदाधिकारियों में भी फेरबदल करने के इच्छुक हैं। आगे वह चुनाव लड़नेवाले उम्मीदवारों के चुनाव में भी अपनी अहम भूमिका चाहते हैं। प्रशांत किशोर उत्तर प्रदेश में दूसरे दलों के साथ गठबंधन या समझदारी के साथ चुनावी मैदान में उतरना चाहते हैं। इसे लेकर कांग्रेस पार्टी में अभी दुविधा बनी हुई है। इसके अलावा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इससे बेहद परेशान हैं कि राजनीतिक फैसलों और उम्मीदवारों के चयन का अधिकार भी उनसे छिन जाएगा।