आम आदमी पार्टी ने सोमवार को दावा किया कि पूरे शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन की पटकथा भाजपा ने लिखी थी। उन्होंने कहा कि इसके नेतृत्व ने दिल्ली चुनाव में चुनावी लाभ के लिए आंदोलनकारियों के प्रत्येक कदम को निर्देशित किया।
आप के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने यह आरोप ऐसे समय मे लगाया है जब नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध का केंद्र रहे शाहीन बाग इलाके से अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के कई सदस्य भाजपा में शामिल हो गए हैं।
भारद्वाज ने आरोप लगाया कि दिल्ली चुनाव के लिए भाजपा का अभियान शाहीन बाग विरोध प्रदर्शनों के आसपास केंद्रित था और यह एकमात्र पार्टी थी जिसने आंदोलन के आसपास के विवाद से लाभ उठाया।
उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, "दिल्ली विधानसभा चुनाव शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण या अन्य विकास संबंधी मुद्दे पर लड़ा जा सकता था। लेकिन दिल्ली भाजपा ने शाहीन बाग के मुद्दे पर चुनाव लड़ने के लिए चुना।"
“पूरे शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन को भाजपा ने लिखा था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इन विरोध प्रदर्शनों के प्रत्येक चरण की पटकथा लिखी।
भारद्वाज ने दावा किया, “उन्होंने फैसला किया कि कौन क्या बोलेगा, कौन हमला करेगा और फिर कौन पलटवार करेगा। इन सभी चीजों को पूर्वस्थापित और अच्छी तरह से स्क्रिप्टेड किया गया था। ”
उन्होंने कहा कि शाहीन बाग विरोध के पीछे प्रमुख लोग पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व की मौजूदगी में रविवार को भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने कहा, "आज सवाल यह है कि क्या भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि जो लोग देश विरोधी नारे लगाते थे वे अब भाजपा का हिस्सा होंगे?"
भारद्वाज ने दावा किया कि दिल्ली में, शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन और उसके आसपास के विवाद के कारण भाजपा का वोट प्रतिशत 18 से 38 हो गया। भारद्वाज ने आरोप लगाया, "इस विरोध के कारण, भाजपा ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली का ध्रुवीकरण किया, कुछ सीटें जीतीं और फिर दंगा कराया।"
उनके आरोपों पर दिल्ली बीजेपी के प्रमुख मनोज तिवारी ने पलटवार किया उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी धर्म, जाति, पंथ या वंश के आधार पर भेदभाव नहीं करती है। तिवारी ने ट्वीट में कहा, "अब भ्रम साफ हो रहा है और मुस्लिम भाई-बहन भाजपा के साथ चलना चाहते हैं ... अरविंद केजरीवाल जी विभाजित करना बंद करें। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा सभी धर्मों का प्रतिनिधित्व करती है और धर्म, जाति, पंथ या वंश के आधार पर भेदभाव नहीं करती है। "
गौरतलब है कि शाहीन बाग नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गया था क्योंकि ज्यादातर महिलाएं, कुछ बच्चों के साथ, तीन महीने से अधिक समय तक वहां विरोध में धरना दिया। कोरोनावायरस के प्रकोप को देखते हुए विरोध प्रदर्शन बंद किया गया था।
राष्ट्रीय राजधानी में आम चुनाव शहर में नए नागरिकता कानून को लेकर शाहीन बाग विरोध के बीच हुए। इस दौरान इस मुद्दा को चुनाव प्रचार के दौरान शीर्ष भाजपा नेतृत्व द्वारा जोरदार तरीके से उठाया गया था। भाजपा के राजनीतिक विरोधियों ने यह आरोप लगाया कि शाहीन बाग में महिलाओं द्वारा प्रदर्शन को लगातार उजागर करके मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए "विभाजनकारी" अभियान चलाया गया।
दिल्ली चुनावों में भाजपा जहां राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर प्रचार अभियान चला रही थी वहीं आप ने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित किया था।