भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल को नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बार फिर से पांच साल के लिए बरकरार रखा है। इसके साथ ही उनका प्रमोशन कर उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया है। डोभाल की नियुक्ति पर भारतीय जनता पार्टी के बागी नेता यशवंत सिन्हा ने अब सवाल खड़े किए है। उन्होंने ट्विट करते हुए लिखा है कि अजित डोभाल पहले से ही 74 साल के हो चुके हैं और उन्हें फिर भी कैबिनेट रैंक का दर्जा कैसे दिया गया है।
यशवंत सिन्हा का सवाल-
यशवंत सिन्हा ने मंगलवार सुबह ट्वीट किया कि अजीत डोभाल 74 साल के हो गए हैं। फिर उन्हें पांच साल के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बना दिया गया है इतना ही नहीं अब उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया है। शायद, जो नियम सांसदों और मंत्रियों के लिए लागू होता है वह कैबिनेट रैंक के लिए लागू नहीं होता है।
यशवंत सिन्हा बोले कि लगता है मैं हर सर्वे का सरताज हूं। इस दौरान उन्होंने पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को लेकर भी लिखा कि मुझे उन पर तरस आता है।
अजीत डोभाल के कार्यकाल को आगे बढ़ाया
सोमवार को मोदी सरकार ने फैसला करते हुए अजीत डोभाल के कार्यकाल को आगे बढ़ाया और अगले पांच साल के लिए उन्हें ही NSA बरकरार रखा। अजीत डोभाल के पद पर रहते हुए ही भारत ने पाकिस्तान में घुसकर एयरस्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक की थी।
यशवंत सिन्हा ने इस नियम पर खड़े किए सवाल
यशवंत सिन्हा ने इस ट्वीट के जरिए भारतीय जनता पार्टी के उस नियम पर सवाल खड़े कर दिए हैं जिसमें 75 से ज्यादा के उम्र के नेताओं को टिकट ना देने की बात कही जाती है। इसी के तहत इस बार बीजेपी ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और सुमित्रा महाजन जैसे वरिष्ठ नेताओं का टिकट काट दिया था।
2014 में बने थे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश का 5वां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था। अजीत डोभाल छह साल पाकिस्तान में मुसलमान बनकर भी रह चुके हैं। डोभाल 1988 में कीर्ति चक्र प्राप्त करने वाले पहले पुलिस अधिकारी हैं। सितंबर 2016 में पीओके में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक में भी अजीत डोभाल की बड़ी भूमिका रही थी। उन्होंने इस मिशन से पहले सेना के तीनों चीफ और खुफिया एजेंसियों के हेड के साथ आखिरी मीटिंग ली थी। मीटिंग में तय हुआ था कि मिशन के तहत एलओसी के उस पार आठ आतंकी कैंपों पर हमला किया जाएगा।
ताकतवर नौकरशाह
अजीत डोभाल की गिनती देश के सबसे ताकतवार नौकरशाहों में होती है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें एनएसए के अलावा रणनीतिक नीति समूह (स्ट्रैटिजिक पॉलिसी ग्रुप, SPG) का सचिव भी बना दिया गया था। डोभाल पाकिस्तान के लाहौर में अपने देश की रक्षा के लिए 7 साल तक अंडरकवर रहे थे। उन्हें भारत के सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान पाने वाले वह पहले अफसर थे।
1968 केरल बैच के IPS अफसर अजीत डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद साल 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए थे। अजीत डोभाल ने करियर में ज्यादातर समय खुफिया विभाग में ही काम किया है। साल 1989 में अजीत डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए 'ऑपरेशन ब्लैक थंडर' का नेतृत्व किया था।