उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अभी से ही राजनीतिक वातावरण तैयार होना शुरू हो चुका है। 2022 में यूपी को साधने के लिए गठबंधन के समीकरणों पर अभी से ही सियासी सुगबुगाहट जारी हो गई है। इसी कड़ी में शनिवार को जब एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव एक शादी समारोह में मिले और उनके बीच जब आधे घंटे तक गुफ्तगू की बातें सामने आईं, तो सूबे की राजनीति में अटकलों का बाजार गर्म हो गया।
हिंदुस्तान के मुताबिक, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव ने 2022 में होने वाले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव भागीदारी संकल्प मोर्चा के साथ लड़ने के संकेत दिए हैं। शनिवार को फूलपुर तहसील के माहुल में एक वैवाहिक समारोह में शिवपाल यादव और ओवैसी दोनों पहुंचे थे। इस शादी समारोह में अचानक पहुंचे शिवपाल यादव ने औवैसी के साथ अलग से हुई आधे घंटे की गुफ्तगू के बाद इस बात की घोषणा की।
बता दें कि पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर व एआईएमएआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का उत्तरप्रदेश में धर्म निरपेक्ष दलों को जोड़ने का क्रम जारी है। शनिवार को एआईएमएआईएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली की पुत्री के निकाह का अवसर इसका गवाह बन गया। अचानक शाम 7 बजे एआईएमएआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओवैसी व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव पांच मिनट के अंतर पर माहुल पहुंच गए। कस्बे के रफी मेमोरियल स्कूल कैंपस में बने बड़े टेंट में दोनों नेताओं ने शौकत की बेटी व दामाद को आशीर्वाद दिया। इसके बाद ओवैसी और शिवपाल सवा सात बजे से पौने आठ बजे तक अलग टेंट के कमरे में बातचीत में मशगूल रहे। इस दौरान दोनों अध्यक्षों के अलावा शौकत व प्रसपा के महासचिव रामदर्शन यादव भी थे। किसी अन्य के वहां जाने की अनुमति नहीं थी। हालांकि, अंदर क्या सियासी खिचड़ी पकी अब तक इसका कुछ औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, मगर इशारा है कि दोनों साथ में चुनाव लड़ सकते हैं।
बैठक के आधे घंटे बाद शिवपाल यादव ने कहा कि हमारी मुलाकात ओवैसी हुई है, मैं पहले भी बोल चुका हूं कि समान विचारधारा के लोग और सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एक साथ आकर भाजपा को प्रदेश व देश से उखाड़ फेंकना चाहिए। इस वक्त यह आवश्यक भी है। मैंने अखिलेश से भी यही कहा कि सबको जोड़ें। शिवपाल यादव ने यह भी कहा कि हम सपा में विलय नहीं करेंगे, बल्कि गठबंधन करेंगे।
उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव चुनावों को देखते हुए अपने चाचा शिवपाल यादव को साधने की कोशिश में लगे हैं। ऐसे में अगर वह ओवैसी के साथ जाते हैं तो अखिलेश को बड़ा झटका लग सकता है।