उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने शनिवार को राज्यसभा के नवनिर्वाचित और मनोनीत सदस्यों के ओरिएंटेशन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, अध्यक्ष के आसन के सामने आकर सदन की कार्यवाही को बाधित करना कीमती समय को खोने के बराबर है और अन्य सदस्यों के विशेषाधिकार में अतिक्रमण के समान है। उन्होंने कहा, यह मेरी व्यक्तिगत राय है और मैंने इसे उत्तरोत्तर प्रधानमंत्रियों के साथ साझा किया है कि संसद की बैठकों की अवधि विगत वर्षों में कम हुई है। राज्यसभा के सभापति अंसारी ने कहा, इससे पहले संसद की 100-110 दिन बैठक हुआ करती थी। चर्चा और बहस तथा अन्य गतिविधियों के लिए पर्याप्त समय होता था। अब औसतन 70 दिन के आस-पास बैठक होती है। समय प्रबंधन की काफी अधिक आवश्यकता है।
अंसारी ने कहा कि सदस्यों का विरोध में अध्यक्ष के आसन के सामने आना लोगों में गलत धारणा पैदा करता है। उन्होंने कहा, ऐसा करना आना किसी व्यक्ति या समूह के हित के लिए सदन को बंधक बनाने जैसा है। अंसारी ने कहा, अगर आप खुद क्या संसदीय है और क्या असंसदीय है इस परिधि से बाहर निकल जाएंगे तो आम जनता में से कोई भी ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है। उपराष्ट्रपति ने कहा, इसके अलावा यह जनता में गलत धारणा पैदा करता है कि सांसद काम नहीं करते और सिर्फ शोर मचाते हैं। मैं नहीं मानता कि यह हमारे हित में है। कैसे यह सही है। शून्यकाल और प्रश्नकाल के दौरान संक्षिप्तता और समय प्रबंधन को अंसारी ने महत्वपूर्ण बताया।