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उत्तराखंड पर चर्चा को लेकर सरकार और विपक्ष के परस्पर विरोधी सुर

संसद के सोमवार से शुरू हो रहे नए सत्र में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन मुद्दे के हावी रहने की पूरी संभावना है। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने स्पष्ट कहा कि वह इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करेगी वहीं सरकार ने दावा किया कि मामले के उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण इस पर चर्चा नहीं कराई जा सकती।
उत्तराखंड पर चर्चा को लेकर सरकार और विपक्ष के परस्पर विरोधी सुर

उच्च न्यायालय के आदेश पर उत्तराखंड में विश्वासमत हासिल किए जाने के एक दिन पहले हरीश रावत सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की विवादित कार्रवाई का मुद्दा आज लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रमुखता से उठाया गया। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बैठक के बाद कहा कि पार्टी के सांसद इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए नियम 56 के तहत स्थगन प्रस्ताव पेश करेंगे। हालांकि संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा, मेरी जानकारी के अनुसार, मामला अदालत के समक्ष है और जब मामला अदालत में लंबित है और फैसला अभी आना है तो इस पर चर्चा के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।

 

लोकसभाध्यक्ष भी सरकार का रूख साझा करती हुई प्रतीत हुईं। यह पूछे जाने पर कि क्या उत्तराखंड मुद्दे पर चर्चा की अनुमति दी जा सकती है, लोकसभाध्यक्ष ने कहा, न्यायालय ने 27 अप्रैल तक रोक लगा दी है और मुझे नहीं लगता कि 27 तक चर्चा हो सकती है। लेकिन खड़गे ने इस मुद्दे पर चर्चा पर जोर दिया और कहा कि यह मुद्दा महत्वपूर्ण है और कई विपक्षी सदस्य इस पर चर्चा चाहते हैं। उन्होंने कहा, हमने लोकसभाध्यक्ष के सामने कई मुद्दे उठाए हैं, जिनमें से उत्तराखंड सबसे प्रमुख है जहां कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की गई तथा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से अंतरिम रोक हासिल कर ली। सरकार तथा लोकसभाध्यक्ष के मामले के अदालत में विचाराधीन होने की दलील पर खड़गे ने कहा कि आसन द्वारा नियमों को अलग रखकर चर्चा की अनुमति दी जा सकती है।

 

वहीं संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि अगर कांग्रेस पर्वतीय राज्य में राष्ट्रपति शासन का मुद्दा उठाती है तो उसे इस बात का जवाब देना होगा कि क्यों उसने विगत में लोकप्रिय निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त करने के लिए अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल किया जिन्हें बहुमत प्राप्त था और कोई संवैधानिक संकट नहीं था। उन्होंने कहा, अगर कांग्रेस मुद्दा उठाना चाहती है तो उसे अपने ही इतिहास का सामना करना पड़ेगा क्योंकि कांग्रेस की सरकारों ने कम से कम 88 बार अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल किया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में 50 बार इसका इस्तेमाल किया। लोकसभाध्यक्ष ने हालांकि उम्मीद जताई कि आगामी सत्र में सुचारू रूप से काम होगा। लेकिन इसकी संभावना कम ही दिख रही है क्योंकि सरकार और विपक्ष दोनों के अपने अपने रूख पर बने रहने के आसार हैं। सुमित्रा महाजन ने कहा कि सदस्यों ने विभिन्न मांगें रखीं जिनमें देश के विभिन्न हिस्सों में पेयजल की कमी और सूखा पर चर्चा शामिल हैं।

 

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