वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज राज्यसभा में कांग्रेस के आरोपों का जोरदार जवाब दिया। उन्होंने आंकड़े पेश कर कहा कि मोदी सरकार पर जो आरोप लग रहे हैं वे कहीं नहीं टिकते। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश को पांच साल के लिए विशेष सहायता देने के लिए तैयार है।
Central govt had agreed to give special assistance measures to #AndhraPradesh for 5 yrs.Earlier, this assistance was to be given by externally aided program,however,in month of Jan,state govt suggested alternative methods&solution is likely to be finalised soon:Arun Jaitley in RS pic.twitter.com/BxqgoxEzfm
— ANI (@ANI) February 9, 2018
देश में स्वच्छ भारत के तहत शौचालयों के निर्माण के लिए खर्च किया गया है कि आज हम गांव में घर-घर तक पहुंचने के बेहद नजदीक हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक इकोनॉमी के लिए बूम के समय में दुनिया की सभी अर्थव्यवस्था ने अच्छा किया। वहीं मोदी सरकार की भी इस दौरान अपनी उपलब्धियां रही हैं।
इन उपलब्धियों को दिखाते हुए जेटली ने सदन में कई आकंड़े पेश कर बताया कि जो आरोप कांग्रेस लगा रही वे पूरी तरह से बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि 2012-13 में जीडीपी ग्रोथ 5.3 फीसदी थी, 2013-14 में 6.3 फीसदी थी। हम सिर्फ एक तिमाही में जीएसटी के चलते नुकसान उठाते हैं और वह 5.7 फीसदी हो जाती है। एक तिहाई में गिरावट के लिए विपक्ष क्यों हाय तौबा मचा रही है। लिहाजा, विपक्ष को भाजपा कार्यकाल के बाकी तिमाही में जीडीपी के आंकड़ों को देखने की जरूरत है.
जेटली ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में आखिरी तीन वर्षों के दौरान देश में 9.4, 10.4 और 9.0 फीसदी महंगाई थी। एक बार कांग्रेस के कार्यकाल में डबल डिजिट महंगाई भी देखने को मिली। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में यह महंगाई 2.0 और 2.5 फीसदी तक रही और इस साल यह 3.0 फीसदी तक पहुंची। उन्होंने सवाल किया कि क्या विपक्ष यह आंकड़े नहीं देखती कि किस तरह से मोदी सरकार के कार्यकाल में यूपीए द्वारा बेलगाम की गई महंगाई को काबू में किया गया।
जेटली ने कहा कि यूपीए सरकार के आखिरी दो साल में करेंट अकाउंट डेफिसिट 4.2 और 4.8 फीसदी था और 2012 के आखिरी तिमाही में 6.7 फीसदी। सरकार बदलने के बाद मोदी सरकार के कार्यकाल में यह डेफिसिट एक और आधे फीसदी के पार कभी नहीं गया। फिर कैसे कांग्रेस समेत विपक्ष करेंट अकाउंट पर सवाल पूछ रही है।
उन्होंने कहा कि 2004 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के समय बॉन्ड यिल्ड पर 5.17 फीसदी रिटर्न था। अप्रैल 2013 तक यह नौ फीसदी तक पहुंच गया। लेकिन जबसे देश में मोदी सरकार बनी यह कम हुआ और अब बीते दो साल से यह 7.5 और 7.7 फीसदी है। वहीं मोदी सरकार के कार्यकाल के समय में यह कम होकर छह फीसदी के दायरे में भी जा चुकी है। ऐसे में विपक्ष किस आधार पर बॉन्ड यिल्ड पर सवाल खड़ा कर रही है।
जेटली ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में आखिरी तीन वर्षों के दौरान फिसकल डेफिसिट 4.9, 4.5 और 4.9 फीसदी रहा, जिससे साफ है कि यूपीए सरकार लगातार अपने खर्च के लिए कर्ज ले रही थी। हमारे कार्यकाल में यह तीन फीसदी के दायरे में आया और बीते साल के दौरान महज जीएसटी के कारण यह आंकड़ा थोड़ा बढ़ा।इसके लिए विपक्ष कैसे मोदी सरकार के ऊपर इस आंकड़े को लेकर सवाल खड़ा कर रही है?
यूपीए सरकार के तीन साल के कार्यकाल में रेवेन्यू डेफिसिट क्रमशः 4.9, 3.7 और 3.2 फीसदी था। वहीं मौजूदा सरकार के कार्यकाल के दौरान यह क्रमशः 2.9, 2.5 और 2.1 फीसदी है। क्या यह आंकड़े अपने आप में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को बयान नहीं करती।