लोकसभा में गुरुवार को 'तीन तलाक' बिल पर चर्चा के बाद उसे पारित किए जाने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सांसदों को इसके लिए व्हिप जारी किया है और उनसे सदन में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है। वहीं कांग्रेस ने यूपीए के सभी सहयोगी दलों से कहा है कि तीन तलाक बिल का विरोध करें। एनडीए गठबंधन में भाजपा की साथी जनता दल (यू) भी तीन तलाक बिल का विरोध करेगी।
बिल में एक साथ तीन बार तलाक बोलकर तलाक दिए जाने (तलाक-ए-बिद्दत) को अपराध करार दिया गया है और साथ ही दोषी को कारावास की सजा सुनाए जाने का भी प्रावधान किया गया है। नरेंद्र मोदी सरकार ने मई में अपना दूसरा कार्यभार संभालने के बाद संसद के इस पहले सत्र में सबसे पहले विधेयक का मसौदा प्रस्तुत किया था। कई विपक्षी दलों ने इसका सख्त विरोध किया है मगर सरकार का यह कहना है कि यह विधेयक लैंगिक समानता और न्याय की दिशा में एक कदम है।
तीन तलाक विधेयक पास कराने पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार बनी एनडीए सरकार ने अपना मंसूबा तभी स्पष्ट कर दिया था, जब उसने लोकसभा के पहले सत्र की एकदम शुरुआत में विपक्षी दलों के विरोध के बीच तीन तलाक बिल पेश किया था। साथ ही संसद सदस्यों के बीच बड़ी उत्सुकता है कि क्या सत्ता पक्ष तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान जम्मू-कश्मीर में निवास से जुड़े आर्टिकल 35A के विवादास्पद मुद्दे पर भी चर्चा शुरू करा सकता है।
विपक्ष को क्यों है ऐतराज
तीन तलाक बिल में क्रिमिनेलिटी क्लॉज विवाद का मुद्दा बना हुआ है। इसी के कारण यह बिल पिछली बार राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था। विपक्षी दल बिल को हिंदू और ईसाई विवाह कानून में तलाक से जुड़े कानून की बराबरी में लाने के लिए इस क्लॉज को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं।
नए विधेयक में ये हुए थे बदलाव
अध्यादेश के आधार पर तैयार नए बिल के अनुसार, आरोपी को पुलिस जमानत नहीं दे सकेगी। मजिस्ट्रेट पीड़ित पत्नी का पक्ष सुनने के बाद वाजिब वजहों के आधार पर जमानत दे सकते हैं। उन्हें पति-पत्नी के बीच सुलह कराकर शादी बरकरार रखने का भी अधिकार होगा। साथ ही मुकदमे का फैसला होने तक बच्चा मां के संरक्षण में ही रहेगा। आरोपी को उसका भी गुजारा देना होगा। तीन तलाक का अपराध सिर्फ तभी संज्ञेय होगा जब पीड़ित पत्नी या उसके परिवार (मायके या ससुराल) के सदस्य एफआईआर दर्ज कराएं।
बढ़ सकता है संसद सत्र
फिलहाल भाजपा सांसदों से इसके संकेत मिल रहे हैं कि संसद का मौजूदा सत्र 2 अगस्त तक बढ़ सकता है। इसका अर्थ यह है कि दूसरे विधेयकों के साथ सरकार तीन तलाक बिल को भी पारित कराने का प्रयास कर सकती है। राज्यसभा में नए सदस्यों के आने से वहां भी बहुमत की ओर कदम बढ़ाते सत्ता पक्ष की ओर से बिल को दिया जा रहा बढ़ावा नया आयाम ले सकता है। संसद के पिछले सत्र में तीन तलाक बिल के राज्यसभा में फंसने के बाद सरकार ने इसको लेकर एक अध्यादेश जारी किया था। ऐसे में सरकार के लिए इसे संसद के मौजूदा सत्र में पारित कराना आवश्यक हो गया था।