मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर जनसंघ के नेता दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर करने को लेकर राज्य सभा में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। समाजवादी पार्टी और बसपा ने इसका विरोध किया।
समाजवादी पार्टी की तरफ से नरेश अग्रवाल ने कहा जिन लोगों का आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं उनका नाम इस्तेमाल किया जा रहा है। सपा के लोगों ने कहा कि किसी भी स्टेशन का नाम किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं है।
इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों को मुगलों के नाम से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन उन्हें एक बड़े विचारक के नाम से दिक्कत है। वहीं नकवी ने यह भी कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी व्यक्ति के नाम पर रेलवे स्टेशन का नाम रखा जा रहा हो। मुंबई के विक्टोरिया टर्मिनस का नाम बदलकर भी छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस किया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुगलसराय रेलवे स्टेशन के नाम बदलने के यूपी सरकार के प्रस्ताव को गृह मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। सरकारी नियमों के मुताबिक किसी स्टेशन, गांव, शहर का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार को गृहमंत्रालय से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी लेना जरूरी होता है। भाजपा इस साल पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष मना रही है। योगी सरकार ने कैबिनेट की बैठक में मुगलसराय के मुख्य मार्ग का नाम दीनदयाल के नाम पर करने, प्रमुख चौराहे पर उनकी प्रतिमा लगाने और उसका नाम दीनदयाल चौक करने का भी निर्णय लिया था। इस बैठक में कहा गया था कि दीनदयाल उपाध्याय का निष्प्राण शरीर मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर मिला था।
मुगलसराय स्टेशन पर दीनदयाल उपाध्याय का शव संदिग्ध हालत में मिला था
1968 में दीनदयाल उपाध्याय का शव संदिग्ध हालत में मुगलसराय स्टेशन पर मिला था। पुलिस इनके शव को लावारिस मानकर चल रही थी। तभी स्टेशन के कुछ रेलकर्मियों को शक हुआ कि ये पंडित दीनदयाल का शव है। इसके बाद सर संघचालक गोलवलकर और अटल बिहारी वाजपेयी मुगलसराय आए और दीनदयाल उपाध्याय के पार्थिव शरीर को लेकर दिल्ली गए, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी मौत का कारण आज भी एक रहस्य है। वहीं कई स्थानीय लोगों का कहना है कि मुगलसराय लाल बहादुर शास्त्री की जन्मस्थली है इसलिए इसका नाम उन पर होना चाहिए।
सबसे व्यस्त और पुराने स्टेशनों में से एक है मुगलसराय
यह स्टेशन1862 में शुरू हुआ था, जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने हावड़ा को दिल्ली से रेल से जोड़ा था। मुगलसराय जंक्शन भारत के सर्वाधिक व्यस्त और सबसे पुराने रेलवे स्टेशन में से एक है। यह जंक्शन देश को पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत से जोड़ता है। मुगलसराय में रेलवे का एशिया का सबसे बड़ा यार्ड है और इसी जंक्शन से ग्रैंड कार्ड रेल लाइन भी शुरू होती है, जो गया, धनबाद होते हुए हावड़ा के लिए जाती है। मुगलसराय-पटना रेल रूट सन 1862 में अस्तित्व में आया जबकि मुगलसराय-गया रूट 1900 में अस्तित्व में आया. मुगलसराय-इलाहाबाद रेलखंड 1864 में और मुगलसराय-वाराणसी 1898 में अस्तित्व में आया।