विपक्ष के भारी हंगामे के कारण आज लोकसभा जहां दो बार के स्थगन वहीं राज्यसभा तीन बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। लोकसभा में हंगामे के बीच कुछ समय प्रश्नकाल और शून्यकाल चला किंतु ये पूरे नहीं हो पाए जबकि राज्यसभा में प्रश्नकाल और शून्यकाल दोनों ही नहीं चल सके।
लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री संसद में आएं, तो प्रधानमंत्री आएंगे और बहस में हस्तक्षेप करेंगे। हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आयकर नियमों में संशोधन वाला एक महत्वपूर्ण विधेयक सदन में पेश किया।
लोकसभा में नोटबंदी के मुद्दे पर आज कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के सदस्य बार-बार आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे। अन्नाद्रमुक के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े थे।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री के सदन में मौजूद रहने पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ आज सारे देश में आक्रोश दिवस मनाया जा रहा है। मोदीजी के फैसले के कारण गरीब, मजदूर, असंगठित क्षेत्रा के लोग, किसान, महिलाएं आदि काफी प्रभावित हुए हैं। लोग एक पैसा भी नहीं निकाल पा रहे हैं। देश की आर्थिक व्यवस्था बर्बाद हो रही है।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह राष्टहित में लिया गया क्रांतिकारी, साहसिक और गरीबोन्मुखी कदम है और किसी ने भी यह सवाल नहीं उठाया कि यह गलत नीयत से लिया गया फैसला है। राजनाथ ने कहा कि बड़े नोटों को अमान्य करने का हमारी सरकार का फैसला कालेधन के खिलाफ जंग है। उन्होंने कहा कि जहां तक इस फैसले को लागू करने की बात है तो हम पहले दिन से इस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि हमारा लक्ष्य और मकसद यह है कि सदन चले और कामकाज हो। इसमें सत्तारूढ़ पार्टी को भूमिका निभानी है। प्रधानमंत्री सदन में आएं और चर्चा का जवाब दें। सदन में सार्थक चर्चा होनी चाहिए। सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा कि हम सभी लोग मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और बोलें।
माकपा के पी करुणाकरण ने कहा कि हम सोचते थे कि प्रधानमंत्री पहले दिन ही सदन में आएंगे और नोटबंदी पर बोलेंगे। हम चाहते हैं कि नोटबंदी पर नियम 56 के तहत चर्चा हो। राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने उनकी मांग का समर्थन किया।
बीजद के भृतहरि महताब ने कहा कि देश में जो परिस्थितियां बनी है, उस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए और इस बारे में कोई हल जल्द निकालना चाहिए। शिवसेना के आनंदराव अडसुल ने ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को होने वाली समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया और उनका शीघ्र हल निकालने की मांग की।
उधर, राज्यसभा में भी विपक्ष का हंगामा जारी रहा। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और बसपा सदस्य सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए कई बार आसन के समक्ष आए। सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि लोगों की समस्याएं उजागर करने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर विरोध किया जा रहा है और इसे आक्रोश दिवस नाम दिया गया है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत के पहले दिन, 16 नवंबर को नोटबंदी के मुद्दे पर सदन में चर्चा शुरू हुई थी जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है। नारेबाजी कर सदन की कार्यवाही बाधित करने के बजाय चर्चा बहाल की जानी चाहिए और उसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाना चाहिए। (एजेंसी)