लोकसभा में असहिष्णुता पर हो रही विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री के बारे में कुछ कहना चाहते हैं। इसपर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने प्रतिवाद किया जिसपर थरूर ने कहा कि वह उनकी आलोचना में नहीं बल्कि प्रशंसा में कुछ कहने जा रहे हैं। थरूर ने कहा, पटना की उस चुनावी रैली में कुछ बम फटे। लेकिन नरेंद्र मोदी ने यह आरोप नहीं लगाया कि उनकी रैली को खराब करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने रैली ऐसे चलने दी जिससे लोगों को लगा कि कुछ हुआ ही नहीं। इसके कारण वहां भगदड़ नहीं मची और एक बड़ी आपदा होने से बच गई।
सदन में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में उन्होंने कहा कि मोदी ने रैली में यह कहा कि हिंदू फैसला करें कि उन्हें मुसलमानों से लड़ना है या गरीबी से। मुसलमानों से भी उन्होंने यह सवाल किया। कांग्रेस नेता ने कहा कि तब उस घटना का लोगों को बांटने के लिए इस्तेमाल करने के प्रलोभन को मोदी ने खुद पर हावी नहीं होने दिया। इतनी प्रशंसा के बाद थरूर ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी सबको साथ लेकर चलने की बात भूल गए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के लोग और मंत्री ध्रुवीकरण करने वाले बयान दे रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री चुप हैं।