मिलिंद देवड़ा ने भाषा से साक्षात्कार में कहा, उन्हें बनना :अध्यक्ष: चाहिए। जल्द से जल्द बनना चाहिए। पार्टी और वरिष्ठ नेताओं को यह तय करना चाहिए कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाए या दूसरे ढांचे में लाया जाए क्योंकि इस बारे में अटकलें लगना हमारी पार्टी के लिए ठीक नहीं है और यह कार्यकताओं के मनोबल को तोड़ता है।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी लगातार देशभर में लोगों से सम्पर्क कर रहे हैं और पार्टी को मजबूत बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, मेरी व्यक्तिगत राय है कि हमें जनता के समक्ष कांग्रेस की सामाजिक नीतियों और विचारधारा को और मजबूती के साथ रखना चाहिए। हमें मीडिया, सोशल मीडिया के माध्यम से अधिक से अधिक युवाओं को आकर्षित करना होगा। 18 साल के युवा जो पहली बार वोट डालेंगे उन्हें अपनी विचारधारा से जोड़ना होगा।
देवड़ा ने कहा कि अगले साल के प्रारंभ में कुछ राज्यों में महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव होने हैं जो देश की राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। इनमें उत्तरप्रदेश और पंजाब के चुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं। उत्तरप्रदेश में हम अच्छी रणनीति के साथ पूरी ताकत लगा रहे हैं और निश्चित तौर पर इसके अच्छे परिणाम सामने आयेंगे। पंजाब में पिछले छह महीने में स्थितियां काफी बदली हैं और हमारी मेहनत रंग ला रही है। हम पंजाब में सरकार बनायेंगे। पार्टी का मनोबल और कार्यकर्ताओं का उत्साह काफी बढ़ा है।
उन्होंने कहा, पार्टी के तौर पर हमें आंतरिक स्तर पर देखना होगा कि हम आर्थिक मोर्चे पर कौन सी राह पकड़ें? हम सामाजिक पहलुओं को सुधार के साथ जोड़े या सुधारों को किस प्रकार से जनता के सरोकारों के साथ जोड़े? इस विषय पर आतंरिक तौर पर चर्चा करना होगा और एक दिशा तय करनी होगी।
देवड़ा ने कहा कि इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि आर्थिक सुधार का सूत्रापात हमारी पार्टी के समय में 1991 में हुआ था जब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे। आज हम उन आर्थिक सुधारों की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। आज मोदी सरकार भी उन्हीं आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ा रही है।
मोदी सरकार के ढाई वर्षों के कामकाज के बारे में पूछे जाने पर मिलिंद देवड़ा ने कहा, लोगों को इस सरकार से काफी उम्मीदें थीं क्योंकि पिछले तीन दशक में पहली बार जनता ने किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत देने का काम किया है। लेकिन मोदी सरकार लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में काफी पीछे रह गई।
उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले ढाई सालों में कोई नया आर्थिक या सामाजिक विचार या नीति पेश नहीं कर पाए। केंद्र की मौजूदा सरकार ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यक्रमों और योजनाओं की रिपैकेजिंग करने का काम किया है। हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है पर उद्योगपति, किसान, युवा, गरीब इससे निराश हैं क्योंकि वे काफी आस लगाये हुए थे पर उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हुई।