राजस्थान में सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को खबर थी कि एक बार फिर राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच मुलाकात होगी। लेकिन, कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि शुक्रवार को हुई बैठक के बाद कोई बैठक नहीं हुई है। शुक्रवार को राज्यपाल से मिलने के बाद राजभवन के लॉन में करीब पांच घंटे के लिए कांग्रेसी विधायक धरने पर बैठ गए थे। कांग्रेस ने कहा है कि वह देशभर में और राजभवन के बाहर 27 जुलाई को प्रदर्शन करेगी।
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वहीं, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने शनिवार की शाम को राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की। आधिकारियों की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक ये बैठक राज्य में कोविड की स्थिति को लेकर आयोजित की गई थी। साथ ही पार्टी ने कांग्रेस से रिजॉर्ट में डेरा जमाए विधायकों और राज्य में चलाई जा रही सरकार को लेकर प्रतिक्रिया मांगी।
इससे पहले सीएम गहलोत ने कहा कि जरूरत पड़ी तो वो राष्ट्रपति से मिलेंगे। पीएम मोदी आवाज पर धरना देंगे। सीएम गहलोत ने शुक्रवार की रात को दूसरी बार कैबिनेट बैठक बुलाई। इस बैठक में प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को लेकर चर्चा की गई। गौरतलब है कि विधानसभा सत्र बुलाने का दूसरा प्रस्ताव पहले ही राज्यपाल को भेजा जा चुका है। गहलोत सरकार राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही है। वहीं, राज्यपाल का कहना है कि जब गहलोत सरकार के पास बहुमत है फिर वो इतनी जल्दी में क्यों है। राज्य में कोरोना के बढ़ रहे मामलों के बीच सत्र बुलाना सही नहीं है।
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इस तनातनी के बीच कांग्रेस की अगुवाई वाली गहलोत सरकार विधानसभा के सत्र बुलाने को लेकर जोर दे रही है, ताकि राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा शुक्रवार को आदेश दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री सदन के पटल पर अपना बहुमत साबित कर सकें कि स्पीकर द्वारा भेजी गई अयोग्यता नोटिसों पर यथास्थिति बरकरार रखी जाए। पायलट और 18 अन्य विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर स्पीकर सीपी जोशी ने नोटिस भेजा है, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया। हाईकोर्ट में 24 जुलाई को सुनवाई से पहले सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली 27 जुलाई को होगी।
राजस्थान विधानसभा में दो सौ सीट है। इसमें से 72 विधायक भाजपा के हैं। वहीं, गहलोत सरकार का दावा है कि उनके पास बहुमत के साथ 107 अधिक विधायक हैं। कांग्रेस पार्टी में पायलट समेत 19 विधायकों ने बागी तेवर अख्तियार किए हुए हैं। बागी सचिन पायलट का दावा है कि गहलोत सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है।