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राम मंदिर मुद्दा फिर गरमाया, वाम और संघ आमने-सामने

व्यापक वाम एकता के साथ देश भर में फैल रहे सांप्रदायिक वैमन्सय से मुकाबला करने के लिए जुड़े वाम दल, अंबेडकर को मनुवादी व्यवस्था के खिलाफ नेता के तौर पर स्थापित करने की रणनीति
राम मंदिर मुद्दा फिर गरमाया, वाम और संघ आमने-सामने

एक तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राम मंदिर निर्माण को लेकर फिर से कमर कस रहा है, वहीं उससे मुकाबला करने के लिए वाम तथा धर्मनिरपेक्ष ताकतें भी लामबंद होती दिख रही हैं। दोनों ही पक्षों के लिए कल 6 दिसंबर का दिन अहम था, क्योंकि इसी दिन 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का भाजपा तथा हिंदुत्ववादी ताकतों ने ध्वंस किया था। संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा मंदिर निर्माण की बात कहने से ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय राजनीति में फिर ये मुद्दा गरमाएगा। देश भर में भाजपा, संघ सहित हिंदुत्ववादी ताकतों ने जहां शौर्य दिवस मनाया, वहीं वाम-लोकतांत्रिक-धर्मनिरपेक्ष ताकतों ने इसे सांप्रदायिक फासीवाद के खइलाफ काला दिवस के रूप में मनाया।

इस मौके पर वाम दलों की एकता बिहार चुनावों के बाद कल भी देश भर की सड़कों पर देखने को मिली। देश भर में छह वाम पार्टियों ने मिलकर सांप्रदायिकता के खिलाफ बाबरी मस्जिद के ध्वंस को काले दिवस के रूप में देश भर में मनाया। देश की राजधानी सहित देश के कई बड़े शहरों, कस्बों, गांवों में छह दिसंबर को साझा धरना-प्रदर्शन आयोजित किए गए। इनसे एक बात उभर कर सामने आ रही है कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा देश भर में फैलाई जा रही सांप्रदायिक नफरत और कट्टरता के खिलाफ वाम दल खुद को एकजुट करने में लग गए हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भीमराव अंबेडकर पर बड़े आयोजन कर, उन्हें अपने खेमे में करने की कोशिश को भी वाम दल नाकाम करने की कोशिश में जुट गए हैं। यही वजह है कि अब सांप्रदायिक फासीवाद के साथ-साथ अंबेडकर का मनु स्मृति को जलाने जैसे क्रांतिकारी कदमों के बारे में ये दल ज्यादा से ज्यादा बात कर रहे हैं। वाम दल खुले मंच से यह कह रहे हैं कि भाजपा और संघ की नफरत और भेद फैलाने वाली राजनीति से लड़ने के लिए अंबेडकर एक मजबूत औजार हो सकते हैं।

left march

कल देश की राजधानी दिल्ली में निकले प्रदर्शन में माकपा, भाकपा, भाकपा माले, एसयूसीआई, फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रमुख नेता और कतारें लामबंद हुईं। भाकपा के सांसद डी. राजा ने कहा कि अंबेडक हिंदुवादी विचारधारा, मनुवादी व्यवस्था के खिलाफ आजीवन लड़ते रहे और आज भाजपा उन्हें भी भगवा करने के फिराक में है। ऐसा हम कभी नहीं होने देंगे। भाकपा माले की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने भी मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि एक तरह तो उनके मंत्री दलित बच्चों की तुलना कुत्तों से कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री अंबेडकर का नाम जपते हैं। माकपा के महासचिव सीताराम येचूरी से जब आउटलुक ने यहा पूछा कि क्या यह साझा मार्च बिहार चुनाव में मिली जीत का परिणाम है, तो उन्होंने कहा कि जमीन पर लाल झंड़ा ही भाजपा के सांप्रदायिक फासीवाद का मुकाबला कर सकता है। बिहार ने रास्ता दिखाया है, सिर्फ वाम ही नहीं सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों के हौसले बुलंद हुए हैं। आगे भी यह वाम एकता कायम रहेगी। 

 

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