लोकसभा में आम आदमी पार्टी के नेता गांधी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाए जाने के तुरंत बाद यादव एवं भूषण द्वारा बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में शिरकत की थी और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को नष्ट करने के लिए पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा था।
संपर्क किए जाने पर गांधी ने पत्र में लिखी बातों को उजागर करने से इंकार कर दिया। हालांकि सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि दो-तीन दिन पहले भेजे गए पत्र में गांधी ने उनके खिलाफ चलाए जा रहे निंदा अभियान एवं उनके पुतले जलाए जाने की घटनाओं की शिकायत की है।
सांसद ने पहले पार्टी के नेतृत्व को आपसी मतभेदों के खिलाफ आगाह करते हुए कहा था कि निम्न दर्जे का बर्ताव पार्टी की बर्बादी का सबब बनेगा। उन्होंने लिखा था, मै सभी नेताओं को और जमीनी स्तर पर काम करने वाले आप के स्वयंसेवकों को चेतावनी देता हूं कि जिन लाखों गरीब एवं परेशान भारतीयों ने आप में जो विश्वास जताया है, उनके साथ इतनी तुच्छ चीजों और सुलझाए जा सकने वाले मतभेदों के आधार पर विश्वासघात करने का हमें कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने लिखा, आइए, हमारे सभी नेताओं के साथ-साथ हम सभी इस बात को समझें, कि अगर उम्मीदों के इस ऐतिहासिक युग में हम तुच्छ विचार और तुच्छ काम करते हैं तो इतिहास और भारत की जनता हमें कभी माफ नहीं करेगी और हमें इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा। सावधान आप।