मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के अध्यक्ष जोरमथांगा ने शनिवार को मिजोरम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 40 सदस्यीय विधानसभा में मिजो नेशनल फ्रंट को 26 सीटें मिली हैं।
नवनिर्वाचित विधायकों ने जोरमथांगा को विधायक दल का नेता चुना। विधानसभा चुनावों में जीत मिलने के बाद जोरमथांगा के नेतृत्व में एमएनएफ के तीन नेताओं के एक शिष्टमंडल ने राज्यपाल कुम्मनम राजशेखरन से राजभवन में मुलाकात करके सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
लालरिनावमा बने प्रोटेम स्पीकर
जोरमथांगा ने गुरुवार को मंत्री पद के लिए निर्वाचित विधायकों के नाम राज्यपाल को भेज दिए थे। राज्यपाल के राजशेखरन ने बुधवार को आधिकारिक रूप से मिजो नेशनल फ्रंट को सरकार बनाने का न्योता भेजा था। एमएनएफ विधायक दल के सचिव लालरूतकिमा ने यह जानकारी दी। वहीं,लालरिनावमा मिजोरम विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किए गए हैं।
नई विधानसभा का सत्र मंगलवार से होगा
राज्यपाल ने अगले मंगलवार को नई विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए समन जारी किया है। यह सत्र 39 नए विधायकों के शपथ लेने तक तीन और उससे ज्यादा दिन तक जारी रह सकता है।
इससे पहले पार्टी प्रमुख ने कहा था कि हम उम्मीद करते हैं कि हम 15 दिसंबर तक सरकार बना लेंगे। जोरमथांगा ने साफ किया कि वह भारतीय जनता पार्टी के एकमात्र विधायक बुद्धधन चकमा को अपने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करेंगे। एमएनएफ, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस में सहयोगी है।
एनएनएफ दस साल बाद फिर सत्ता में
मिजोरम में मंगलवार को आए विधानसभा चुनाव नतीजों में मिजो नेशनल फ्रंट ने सबसे ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। मिजो नेशनल फ्रंट दस साल बाद सत्ता में वापसी कर रहा है। सत्तारूढ़ कांग्रेस को इस बार महज पांच सीटें मिली। वहीं, पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 34 सीटें हासिल कर सरकार बनाई थी।
इससे पहले कांग्रेस के लल थनहवला लगतार दस सालों तक मुख्यमंत्री रहे। वे दो सीटों से चुनाव मैदान में थे और दोनों ही सीटें हार गए। साल 1987 के बाद से ही मिजोरम में सत्ता कभी कांग्रेस और कभी एमएनएफ के हाथों में रही है।