सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव चुनाव आयोग के सामने अपना-अपना दावा मजबूत करने के लिए समर्थकों द्वारा हस्ताक्षरित हलफनामे एकत्र करने में जुट गए हैं। सपा में शामिल हुए कौमी एकता दल के विधायक सिबगतउल्ला अंसारी समेत 200 से ज्यादा विधायकों ने अखिलेश के पक्ष में हलफनामों पर हस्ताक्षर किए हैं।
बैठक में शामिल कैबिनेट मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने हमसे कहा कि मुलायम सिंह यादव जी मेरे पिता हैं। हमने उनसे कहा है कि तीन महीने के लिए हमें पूरे अधिकार मिल जाएं और हमारे फिर से सत्ता में आने के बाद आप (मुलायम) जो निर्णय चाहें, वह कर लीजिए।
सिबगतउल्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री के आदेश पर वह उनके आवास गए थे और शपथपत्र पर हस्ताक्षर किए। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने मुलायम के पक्ष में भी हलफनामे पर दस्तखत किए थे, सिबगतउल्ला ने कहा नेताजी ने हमें तो नहीं बुलाया।
इस बीच, कौमी एकता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अफजाल अंसारी ने कहा कि वह सपा में जारी खींचतान से बहुत दुखी हैं और चाहे जो पक्ष जीते, लेकिन हर हाल में तकलीफ सपा मुखिया को ही पहुंचेगी।
मुलायम और शिवपाल के दिल्ली रवाना होने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास पर अपने समर्थक विधायकों तथा अन्य नेताओं से मुलाकात की और उनसे पार्टी के चुनाव चिन साइकिल पर दावा करने के लिए जरूरी शपथपत्रों पर हस्ताक्षर कराए।
सरकार के एक अन्य मंत्री शंखलाल मांझी ने कहा कि नेताजी (मुलायम) के बिना सपा अधूरी है। मुख्यमंत्री सपा का चेहरा हैं। चेहरे के बगैर सपा सरकार के बारे में सोचना बेकार है। चुनाव आयोग ने सपा के दोनों गुटों द्वारा साइकिल पर दावे के सिलसिले में दाखिल किए गए दस्तावेजों पर अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। आयोग ने दोनों गुटों से आगामी नौ जनवरी तक अपने-अपने समर्थक विधायकों, विधान परिषद सदस्यों तथा सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित शपथपत्र जमा करने को कहा है, ताकि यह पता लग सके कि किसके पास कितना संख्या बल है।
मुलायम गुट के सूत्रों के मुताबिक सपा मुखिया और शिवपाल आज अपने साथ विधायकों, विधान परिषद सदस्यों तथा सांसदों के हस्ताक्षरित शपथपत्र ले गए हैं। पिछले रविवार को हुए सपा के विवादित राष्टीय अधिवेशन में सपा के 229 में से 200 से ज्यादा विधायक, बड़ी संख्या में विधान परिषद सदस्य तथा अन्य पार्टी नेता एवं पदाधिकारी शामिल थे। इस अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था, जबकि अमर सिंह को पार्टी से निष्कासित करने तथा शिवपाल सिंह यादव को सपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला किया गया था।
अखिलेश के हिमायती माने जाने वाले सपा राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने दावा किया कि ज्यादातर विधायक, विधान परिषद सदस्य तथा सांसद अखिलेश के साथ हैं। आपसी गतिरोध के बीच, वरिष्ठ नेता आजम खां की कोशिशों से सपा के दोनों गुटों में दो दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन वह बेनतीजा रही। (एजेंसी)