आम आदमी पार्टी में अंदरूनी संघर्ष उस समय और बढ़ गया जब पार्टी के असंतुष्ट नेता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने आज पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर करारा प्रहार करते हुए उन पर आंतरिक लोकतंत्र का दम घोंटने और सत्ता पर काबिज रहने के लिए गलत रास्ता अपनाने का आरोप लगाया।
प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि उनकी ओर से उठाये गए किसी भी विषय को केजरीवाल के नेतृत्व पर प्रश्न खड़ा करने और उन्हें आप के राष्ट्रीय संयोजक के पद से हटाने की कोशिश के तौर पर पेश किया जा रहा था।
भूषण ने यहां तक दावा किया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इस बारे में सुझाया था कि वह सभी पार्टी विधायकों के साथ एक क्षेत्रीय पार्टी बना लेंगे, साथ ही यह भी कहा कि वह हमारे साथ काम नहीं कर सकते हैं।
आप के दोनों संस्थापक सदस्यों ने केजरीवाल पर उस समय निशाना साधा है जब एक दिन बाद ही पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है जिसमें भूषण और योगेंद्र के भविष्य समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव ने कहा कि अगर नेतृत्व के समक्ष रखी गई उनकी पांच मांगे मान ली जाती हैं तब वह कार्यकारणी के सभी पदों से इस्तीफा दे देंगे जिसमें पार्टी को आरटीआई के दायरेमें लाना, आप के आंतरिक लोकपाल के गलत कार्यों से जुड़े आरोपों की जांच के आदेश देने और प्रदेश इकाई को अधिक स्वायत्तता देना शामिल है।
योगेन्द्र यादव ने कहा, हमने पार्टी को एक नोट भेजा है जिसमें अपनी मांग रखी है जिसे हमारे इस्तीफे के पत्र के रूप में दिखाया जा रहा है। जबकि यह इस्तीफा देने का सशर्त पत्र था। हमने कहा था किअगर हमारी पांच मांगें मान ली जाती हैं, तब हम पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे देंगे।
दोनों नेताओं ने कहा कि मेल-मिलाप की चर्चा के दौरान उन पर इस्तीफा देने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है और साथ ही स्पष्ट किया कि बातचीत के दौरान उन्होंनेपार्टी के संयोजक पद कामुद्दा कभी नहीं उठाया।उन्होंने कहा, ऐसा क्यों है कि जब हम कोई सवाल उठाते हैं, तब हमारे इरादे पर सवाल उठाया जाता है ?
उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई निजी लाभ के लिए नहीं है बल्कि आप की स्थापना के सिद्धांतों को बहाल करने से संबंधित हैं। योगेन्द्र ने आरोप लगाया कि आप के आधिकारिक वेबसाइट से पार्टी केसंविधान को हटा दिया गया है। भूषण ने केजरीवाल की इस बात के लिए आलोचना की कि उन्होंने पिछले वर्ष दिल्ली में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के विधायकों से सम्पर्क करने के प्रयास किए।