आदिवासी वोटों को लेकर झारखंड में राजनीति फिर तेज है। प्रधानमंत्री के आने के पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनगणना कॉलम में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड का राग छेड़ा है। ठीकरा केंद्र पर फोड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को झारखंड आ रहे हैं। 15 नवंबर राज्य का स्थापना दिवस है तो आदिवासियों के भगवान के रूप में ख्यात धरती आबा बिरसा मुंडा की जयंती थी। प्रधानमंत्री का मूल कार्यक्रम बिरसा मुंडा की जन्मस्थली खूंटी जिला स्थित उनके गांव उलिहातु जाने का है। करीब 26 प्रतिशत आदिवासियों की आबादी वाले झारखंड में जनजातियों के लिए आरक्षित 28 विधानसभा सीट में 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली और रघुवर सरकार को जाना पड़ा।
आदिवासी बहुल संताल और कोल्हान संसदीय सीट पर भी भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा। इसने भाजपा में आदिवासी वोटों को लेकर चिंता बढ़ा दी। अगले साल ही यहां विधानसभा के साथ संसदीय चुनाव भी है। ऐसे में आदिवासी वोटों को लेकर घेराबंदी तेज हो रही है। दो साल पहले रांची में ही भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की केंद्रीय समिति की बैठक हुई। उसमें पारित प्रस्ताव को ध्यान में रखकर तत्काल केंद्रीय कैबिनेट को बिरसा मुंडा की जयंती को देशभर में जनजाती गौरव दिवस के रूप में मनाने का फैसला कर लिया। जयंती पर केंद्रीय मंत्री उलिहातु भेजे गये।
पिछले साल इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी आईं। अब प्रधानमंत्री आ रहे हैं। वे यहीं से प्रधानमंत्री विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत करेंगे। यहीं से ऑनलाइन आईआईएम रांची और आईआईटी-आईएमएम धनबाद के नये भवनों के उद्घाटन के साथ रांची के कांके के सांगा में ट्रिपल आईटी का शिलान्यास करेंगे। जनजातीयों के लिए भी कुछ योजनाओं के शुरुआत की तैयारी है। आये दिन अपने संबोधन में प्रधानमंत्री बिरसा मुंडा का नाम लेते हैं। प्रधानमंत्री के आगमन और भावी कार्यक्रमों को लेकर झारखंड में सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा में बेचैनी है।
हेमंत सरकार भी उस मौके पर योजनाओं और कार्यक्रमों का बुके पकड़ाने जा रही है। आदिवासी वोटों को एकजुट रखने की चिंता है तो आदिवासियों के सवाल पर केंद्र को घेरने की भी तैयारी है। झारखंड स्थापना दिवस समारोह की तैयारी, पेश की जाने वाली नीति, योजनाओं की गुरुवार को हेमंत सोरेन ने समीक्षा की। समीक्षा के बाद सचिवालय से बाहर निकलने पर पत्रकारों से कहा कि सरना धर्म कोड पर केंद्र सरकार को निर्णय करना है। इससे जुड़ा विधानसभा से पास सर्वसम्मत प्रस्ताव पूर्व में ही केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है। समय समय पर रिमाइंडर भेजने का काम राज्य सरकार का है, वह हम करते रहेंगे।
दरअसल जनगणना के कॉलम में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड का मामला आदिवासियों की पहचान से जुड़ा है। मुख्यमंत्री दो सीट से 2019 का विधानसभा चुनाव जीते थे। दुमका सीट बाद में छोड़ दिया। दुमका में उप चुनाव के दौरान ही उन्होंने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड को पास करने की घोषणा की और ऐसा किया भी। अब यह केंद्र के गले की हड्डी बन गई है। तकनीकी पेंच के कारण इसे मंजूरी देना मुश्किल है। सरना आदिवासी के नाम पर प्रस्ताव है जबकि देश में बड़ी संख्या में आदिवासियों समाज है कहीं गोंड, कहीं भील कहीं कुछ और। झारखंड विधानसभा से प्रस्ताव पास होने के पूर्व भी झारखंड में इसे लेकर लगातार आंदोलन होते रहे। मीलों लंबी मानव श्रृंखला का निर्माण किया गया। सरना धर्म कोड की मान्यता को लेकर दो दिन पूर्व रांची के मोरहाबादी मैदान में राज्यस्तरीय जनसभा हुई जिसमें सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने 15 नवंबर तक सरना कोड को लागू करने की केंद्र द्वारा घोषणा नहीं करने पर 30 दिसंबर को भारत बंद और रेल-रोड चक्का जाम का एलान किया है।
इधर प्रधानमंत्री के आगमन को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बिरसा जयंती और स्थापना दिवस को लेकर अपने स्तर से तैयारी में जुटे हैं। आपकी योजना- आपकी सरकार- आपके द्वार कार्यक्रम के तीसरे चरण की शुरुआत होगी। तो मुख्यमंत्री स्थापना दिवस समारोह में झारखंड निर्यात नीति झारखंड एमएसएमई नीति, झारखंड स्टार्टअप नीति और झारखंड आईटी डाटा और बीपीओ प्रमोशन नीति लॉन्च की जाएगी। इसके अलावा अबुआ आवास योजना और मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना का भी शुभारंभ करेंगे। विभिन्न विभागों की करोड़ों रुपये की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। रोजगार मेला -सह-नियुक्ति पत्र वितरण, खिलाड़ियों के बीच पुरस्कार राशि का वितरण, सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना के लाभुक छात्राओं के बीच डीबीटी के माध्यम से राशि का हस्तांतरण और लाभुकों के बीच परिसंपत्ति का वितरण भी होगा। बहरहाल बिरसा जयंती और राज्य स्थापना दिवस के बहाने फोकस आदिवासी वोटों पर है देखना यह है कि सरना धर्म कोड पर प्रधानमंत्री कुछ बोलते हैं या नहीं।