बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) बिहार चुनाव से पहले एनडीए में शामिल हो गए हैं। बुधवार को इस बात की जानकारी जीतन राम मांझी ने खुद दी। मांझी ने कहा कि हमने जनता दल (यूनाइटेड) के साथ गठबंधन किया है और एनडीए का हिस्सा बन गए हैं। अगले बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है।
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा, जहां से सम्मान मिला है उस सम्मान को मद्देनजर रखते हुए हमने निर्णय लिया कि अगर हमें कहीं जाना ही है तो हम नीतीश कुमार जी के साथ रहेंगे। पार्टी में विलय नहीं कर के एक अलग पार्टनर के रूप में उनके साथ बिना शर्त के रहने का फैसला किया है।
इससे पहले पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने जोर देते हुए कहा था कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) का किसी भी पार्टी में विलय नहीं होगा, बल्कि यह बिहार चुनाव में एनडीए का हिस्सा होगा, जो अक्टूबर-नवंबर में होना है। रिजवान ने कहा कि हम (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी 3 सितंबर को बिहार में एनडीए का हिस्सा बनने की औपचारिक घोषणा करेंगे।
रिजवान ने कहा कि आगामी चुनावों में पार्टी को जितनी सीटें मिलेंगी, वह कभी भी कोई मुद्दा नहीं था क्योंकि हम(एस) राज्यों के विकास के लिए एनडीए में शामिल होगा। उन्होंने कहा कि पार्टी अपने विकास कार्यों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मजबूती से खड़ी है।
बता दें कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) ने 20 अगस्त को महागठबंधन से नाता तोड़ लिया था। बिहार में महागठबंधन में हम के अलावा, आरजेडी, कांग्रेस, उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) और बॉलीवुड सेट डिजाइनर मुकेश साहनी की अगुवाई वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) शामिल हैं।
हम प्रमुख ने चुनावों की रणनीति पर चर्चा करने के लिए पूर्व सांसद पप्पू यादव की जन अधिक्कार पार्टी सहित कुछ गैर-राजग और गैर-ग्रैंड गठबंधन दलों के साथ बुधवार यानी आज होने वाली बैठक स्थगित कर दी है।
बता दें कि महागठबंधन से किनारा करने के बाद पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सूबे के मुखिया नीतीश कुमार से उनके आवास पर मुलाकात की थी। और माना कि दोनों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत हुई।
एचएएम (एस) 15-20 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जिसमें से ज्यादातर मगध क्षेत्र के हैं, जहां मांझी हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक जद(यू) इसके लिए 10-12 सीटें छोड़ने को तैयार है। मांझी विधानसभा में अपनी पार्टी के अकेले सदस्य हैं। लेकिन, उनके शामिल होने से एनडीए के दलितों, खासकर पासवानों के अलावा अन्य लोजपा को समर्थन मिलने में मदद मिलेगी।
बता दें कि बिहार में 16 प्रतिशत से अधिक दलित मतदाता हैं और 243 सदस्यीय सदन में लगभग 40 सीटें उनके लिए आरक्षित हैं।
गौरतलब है कि मांझी ने फरवरी 2018 में एनडीए छोड़ दिया था और महागठबंधन में शामिल हो गए थे। पार्टी ने 2019 के आम चुनावों में विपक्षी समूह के साथ तीन लोकसभा सीटों पर असफल रूप से चुनाव लड़ा था। इससे पहले, नीतीश कुमार की वापसी के लिए रास्ता बनाने के लिए मजबूर होने के बाद मांझी ने 2015 में जदयू छोड़ दिया था। बाद में उन्होंने हम का गठन किया और एनडीए में शामिल हो गए। जुलाई 2017 में नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने के बाद, मांझी ने सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ गठबंधन तोड़ दिया और विपक्षी महागठबंधन का हिस्सा बने।