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बिहार विश्वास मत परीक्षण: बिहार विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया

जनता दल यूनाइटेड अध्यक्ष नीतीश कुमार के एक बार फिर पाला बदलने के कारण बिहार में बनी राष्ट्रीय...
बिहार विश्वास मत परीक्षण: बिहार विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया

जनता दल यूनाइटेड अध्यक्ष नीतीश कुमार के एक बार फिर पाला बदलने के कारण बिहार में बनी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करेगी।

बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठंधन (राजग) ने विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिस पर सोमवार को सदन में विचार किया गया।

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक पखवाड़े पहले ‘महागठबंधन’ से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राजग में लौट गए थे। पूर्ववर्ती महागठबंधन सरकार का हिस्सा रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता चौधरी ने अपनी पार्टी के सत्ता से बाहर होने के बाद अपना पद छोड़ने से इनकार कर दिया था। भाजपा विधायक नंदकिशोर यादव ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।

बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा, "लोकतंत्र का सम्मान होगा, लोकतंत्र की रक्षा होगी और लोकतंत्र को कलंकित करने वाले लज्जित होंगे..."।

बिहार फ्लोर टेस्ट पर भाजपा सांसद विवेक ठाकुर ने कहा, "....राजद तो इस तरह के व्यवहार के लिए ही प्रचलित है। कल जैसे लाठी-डंडे लेकर उन लोगों(राजद) ने अपने समर्थकों को ईर्द-गिर्द रखा है, बिहार का भी यही माहौल हो चुका था। जिस वजह से नीतीश कुमार बेबस होकर वहां से निकल गए। इन लोगों ने कानून-व्यवस्था ध्वस्त कर दी थी। 128 विधायक एनडीए के साथ हैं, कुछ घटेगा या बढ़ेगा नहीं।"

फ्लोर टेस्ट से पहले बिहार सरकार में मंत्री लेशी सिंह ने कहा, "सभी विधायक आ गए हैं। कोई गायब नहीं था, सभी लोग इधर-उधर थे... गेम वाले खेला में तो वे (राजद) असफल रहे हैं और इस राजनीतिक खेला में भी वे हार जाएंगे।"

बिहार के मंत्री और जेडीयू नेता विजय कुमार चौधरी ने कहा, "आज सिर्फ दो चीजें होंगी...स्पीकर साहब या तो खुद ही पद छोड़ दें, नहीं तो उन्हें हटा दिया जाएगा और दूसरा, सरकार विश्वास मत हासिल करेगी...हमारे सभी विधायक हमारे संपर्क में हैं..."।

बिहार विधानमंडल के बजट सत्र की शुरूआत सोमवार को द्विसदनीय विधायिका के सदस्यों को राज्यपाल के पारंपरिक संबोधन के साथ शुरू होगी जिसके बाद विधानसभा विश्वास मत से पहले अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी।

विपक्षी दलों के ‘महागठबंधन’ के सबसे बड़े घटक दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से जुड़े चौधरी ने स्पष्ट कर दिया है कि नयी सरकार के गठन के तुरंत बाद राजग के विधायकों द्वारा पेश किए जाने वाले प्रस्ताव के बावजूद वह पद नहीं छोड़ेंगे।

बिहार में सत्ताधारी राजग में जदयू, भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) तथा एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 128 विधायक हैं, जो बहुमत से छह अधिक है।

रविवार को जदयू विधायक दल की बैठक में कुछ विधायकों की अनुपस्थिति और बोधगया में भाजपा की दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में कुछ विधायकों की अनुपस्थिति के बीच महागठबंधन को सत्तापक्ष पर निशाना साधने का मौका मिल गया। महागठबंधन दावा कर रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए राजग बहुमत के लिए आवश्यक 122 का आंकड़ा नहीं जुटा पाएगा। जदयू और भाजपा दोनों ने दावा किया है कि सभी विधायक सदन के अंदर मौजूद रहेंगे।

जदयू ने विधायकों को एकजुट रखने के प्रयास के तहत उन्हें विधायक दल की बैठक के बाद शहर के एक होटल में ठहराया।

इसी तरह कई भाजपा विधायकों को कार्यशाला से लौटने पर उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के आवास पर रुकने के लिए कहा गया।

महागठबंधन के पास 114 विधायक हैं जो बहुमत से आठ कम है। महागठबंधन ने अपने सभी विधायकों के एकजुट पर जोर देते हुए दावा किया है कि राजग खेमे में जदयू के कुछ लोग इस अचानक बदलाव से नाखुश हैं और वे बाजी पलट सकते हैं।

महागठबंधन में शामिल राजद, कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा-माले), भारतीय कमयुनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से जुड़े कई विधायक गठबंधन के नेता तेजस्वी यादव के आवास पर रुके हुए हैं।

इस बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने खरीद-फरोख्त के किसी भी प्रयास के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

रिकॉर्ड नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नीतीश कुमार जदयू के अंदुरूनी हालात पर भी करीब से नजर रख रहे हैं। उन्होंने विधायक दल की बैठक में भाग लिया और एक दिन पहले आयोजित दोपहर भोज में भी भाग लिया जिसे विश्वास मत से पहले एकजुटता बनाए रखने की कवायद के तौर पर देखा गया।

जानिए जीत का गणित

बिहार विधानसभा में 243 विधायक हैं और बहुमत का आंकड़ा 122 है। नजर एआईएमआईएम के इकलौते विधायक पर है। अगर एआईएमआईएम ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया तो बहुमत हासिल करने का जादुई आंकड़ा 121 हो जाएगा। सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा के 78, जदयू के 45, हम के 4 और एक निर्दलीय विधायक हैं। इस तरह यह आंकड़ा 128 का है, जो बहुमत के जादुई आंकड़े से छह ज्यादा है। अगर जदयू के पांच विधायकों ने बागी तेवर अपनाए तब भी सत्तारूढ़ गठबंधन के पक्ष में 123 विधायक होंगे।

 

 

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