बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा सबरीमाला मामले पर उच्चतम न्यायालय के आदेश पर की गई टिप्पणी की आज कड़ी निन्दा करते हुए कहा कि अदालत को इसका संज्ञान जरूर लेना चाहिए। मायावती ने जारी बयान में कहा कि शाह का कल केरल के कन्नूर में उच्चतम न्यायालय को हिदायत देते हुये यह कहना अति-निन्दनीय है कि अदालत को ऐसे फैसले नहीं देने चाहिए, जिनका अनुपालन नहीं किया जा सके और न्यायालय को आस्था से जुड़े मामले में फैसला देने से बचना चाहिए। न्यायालय को इसका संज्ञान अवश्य लेना चाहिए।
'लोकतंत्र खतरे में'
उन्होंने कहा कि केन्द्र में सत्तासीन पार्टी के अध्यक्ष के ऐसे गैर-ज़िम्मेदाराना सार्वजनिक बयानों से यह स्पष्ट है कि देश का लोकतंत्र खतरे में है। साथ ही सी.बी.आई., सी.वी.सी., ई.डी. तथा भारतीय रिजर्व बैंक जैसी देश की महत्त्वपूर्ण स्वायत्तशासी संस्थाओं में इस वक्त जो गंभीर संकट का दौर चल रहा है वह इसी प्रकार के ग़लत सरकारी नजरिये और अहंकार का ही नतीजा है।
मायावती ने कहा कि देश में न्यायालय तथा विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ देश की 125 करोड़ आबादी इस पवित्र सिद्धान्त पर एकमत है कि देश संविधान से चलता है और इसी आधार पर आगे भी चलता रहेगा, लेकिन सत्ताधारी भाजपा के वर्तमान नेतृत्व द्वारा इस मामले में उत्तेजक भाषणबाजी करके राजनीतिक रोटी सेंकने का प्रयास बार-बार किया जा रहा है, जो अति-गंभीर और अति-निन्दनीय है।उन्होंने कहा कि शाह वास्तव में सबरीमाला मन्दिर मामले को लेकर इतना भड़काऊ, असंसदीय और असंवैधानिक भाषण देकर धर्म का राजनीतिक इस्तेमाल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हो रहे विधानसभा चुनावों में करना चाहते हैं।
मालूम हो कि शाह ने कल केरल में सबरीमाला मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कथित तौर पर कहा था “अदालतों को आदेश ऐसे देने चाहिये, जिनका पालन हो सके। ऐसे आदेश नहीं देने चाहिये, जो लोगों की आस्था को तोड़ने का काम करें।”