शिवसेना ने फडणवीस सरकार के उस सर्कुलर पर भी तीखा हमला किया जिसमें सरकारी कार्यालयों और स्कूलों में देवी-देवताओं की तस्वीरों के प्रदर्शन पर रोक लगाने को कहा गया था। सर्कुलर का हवाला देते हुए सामना ने अपने संपादकीय में लिखा, 'हिंदुत्व और भगवान राम के मंदिर के नाम पर सत्ता में आने वाले लोग...और गंगा नदी ने बोतलों में पानी बेचने वाले अब राज्य से हमारे देवताओं को निर्वासित करने को तैयार हैं।' हालांकि शिवसेना के विरोध के बाद सरकार ने आनन-फानन में सर्कुलर को वापस ले लिया।
बीएमसी चुनाव के लिए 20 साल से चले आ रहे चुनाव पूर्व गठबंधन के टूटने के बाद दोनों पार्टियों में कड़वाहट साफ दिख रही है। सामना ने अपने संपादकीय में लिखा, 'सेना एक हीरे की तरह है...वह उन खटमलों के साथ नहीं रह सकती जिन्होंने महाराष्ट्र की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।'
छत्रपति शिवाजी को याद करते हुए सामना ने लिखा कि महान शासक ने कभी 'धर्म' के साथ राजनीति नहीं की। उन्होंने हिंदू देवताओं को मुगलों से बचाया...हालांकि मौजूदा सरकार मुगलों की तरह व्यवहार कर रही है...स्वराज के युग में भी यह सरकार अपने ही देवताओं पर हमले शुरू कर चुकी है।