मायावती ने एक बयान में कहा, करोडों रूपये की लागत से बनने वाला लक्जरी रथ का जहां वर्तमान सरकार के मुखिया अखिलेश यादव की यात्रा के प्रारंभ में ही दिवाला निकाल गया, वहीं रथयात्रा के साथ चलने वाले उनके हुड़दंगबाज रास्ते में लूटते खसोटते चले गये। पुलिस को तमाशबीन बने रहने पर मजबूर होना पड़ा।
उन्होंने कहा, वैसे तो किसी भी सरकार के लिए उसके काम को बोलना चाहिए परंतु जिस प्रकार वर्तमान मुख्यमंत्री को अपने गुमनाम होने की शिकायत है कि लोग उन्हें पहचानते नहीं, ठीक उसी प्रकार उनके विकास के दावे भी हवा हवाई होने की शिकायत लोगों को है क्योंकि उनके विकास के दावों का लाभ अभी तक जनता को मिलना शुरू ही नहीं हुआ।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि अगर सपा सरकार ने जनहित और जन कल्याण के वास्तविक काम किये होते तो फिर उन्हें भारी सरकारी शान शौकत के साथ यह विकास रथयात्रा निकालने की जरूरत ही नहीं पडती।
मायावती ने आरोप लगाया कि सपा शासनकाल में घोर जातिवाद, परस्पर द्वेष, भ्रष्टाचार और जंगलराज का बोलबाला रहा है। इसके लिए अनेक बार उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय से सपा सरकार को फटकार भी मिलती रही है। उन्होंने कहा, डेंगू जैसी घातक बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया। अंतत: उच्च न्यायालय को सख्ती से दखल देना पडा। लेकिन सपा सरकार के मुखिया :अखिलेश: इन बातों के मद्देनजर शर्मिन्दा और सतर्क होेकर कार्य करने की बजाय निष्प्रभावी एंबुलेंस सेवा का ढिंढोरा पीटते हैं।
बसपा सुप्रीमो ये आरोप भी लगाया कि भाजपा से सपा की मिलीभगत है इसलिए अखिलेश प्रधानमंत्री नरेेन्द्र मोदी के खिलाफ इशारों इशारों पर बात करते हैं तथा खुलकर निन्दा करने में हिचकते हैं। भाषा एजेंसी