पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह किसी भी सूरत में राज्य में नागरिकता संशोधन कानून को लागू नहीं होने देंगी। शुक्रवार को दीघा में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार यह कानून लागू करने के लिए राज्यों को बाध्य नहीं कर सकती है।
उत्तर-पूर्वी राज्यों, खासकर असम के लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए उन्होंने वहां हालात बिगड़ने के लिए केंद्र सरकार को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया। गौरतलब है कि असम समेत पूरे उत्तर-पूर्व में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में कई दिनों से प्रदर्शन जारी है। अब तक कम से कम तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है।
“न एनआरसी लागू करेंगे, न नागरिकता कानून”
ममता ने कहा, “हम पश्चिम बंगाल में कभी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू नहीं करेंगे, और न ही नए नागरिकता कानून को लागू करने देंगे। भले ही संसद ने इसे पारित कर दिया हो। भारतीय जनता पार्टी इसे लागू करने के लिए राज्यों को बाध्य नहीं कर सकती है।” गौरतलब है कि ममता पहले भी इसका विरोध कर चुकी हैं। उनके बाद पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन भी कह चुके हैं कि वे नागरिकता संशोधन कानून को अपने राज्य में लागू नहीं करेंगे।
“नागरिकता कानून के खिलाफ लड़ाई आजादी की दूसरी लड़ाई होगी”
ममता ने कहा कि नए नागरिकता कानून के खिलाफ उनकी लड़ाई आजादी की दूसरी लड़ाई होगी। इसे वापस लेने के लिए वह सड़कों पर उतरेंगी। इस विभाजनकारी कानून के खिलाफ वह केंद्र सरकार का किसी भी तरह से सहयोग नहीं करेंगी। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में अगर संसद में आपके पास बहुमत है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप अपने विचार दूसरों पर थोप सकते हैं। लोकतंत्र की खूबसूरती एकमत बनाने और सबको साथ लेकर चलने में है।”
“नया नागरिकता कानून देश को बांट देगा”
उन्होंने कहा कि नया नागरिकता कानून देश को बांट देगा। जब तक तृणमूल कांग्रेस सत्ता में है, राज्य के एक भी व्यक्ति को देश छोड़कर नहीं जाना पड़ेगा। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपना दिल्ली दौरा रद्द कर दिया है। उन्हें महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जाना था। इस बीच, राज्य में कई जगहों पर इस कानून के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं।