केंद्र में मोदी सरकार की सहयोगी शिवसेना ने एक बार फिर सरकार पर हमला किया है। पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में कहा गया है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कमी गुजरात के वोटरों को लुभाने के लिए की गई है। संपादकीय में कहा गया है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वे एक समान टैक्स लगाने के खिलाफ थे।
शिवसेना ने कहा कि नोटबंदी के बाद देश की अर्थव्यवस्था संभली भी नहीं थी कि जीएसटी का हथियार चला कर इसे और कमजोर कर दिया गया। जीएसटी लागू होने के बाद लोग गुस्से में थे। इसकी वजह से सरकार को झुकना पड़ा। यह लोगों की जीत है। राजग की सहयोगी पार्टी ने कहा कि जिस तरह से गैरब्रांडेड खाखरा पर से जीएसटी 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी किया गया उससे साफ है कि ऐसा गुजरात के चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया।
संपादकीय में कहा गया है कि सूरत, राजकोट, अहमदाबाद के छोटे व्यापारी जीएसटी के खिलाफ बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए जिससे गुजरात में सरकार विरोधी माहौल पैदा हो गया। इस वजह से सरकार को दर कम करने के लिए बाध्य होना पड़ा। शिवसेना ने कहा कि मोदी का (गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान) यह मानना था कि यदि जीएसटी लागू किया गया तो मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी और अर्थव्यवस्था की स्थिति डांवाडोल हो जाएगी। यही कारण है कि वे उस समय इसका विरोध कर रहे थे। लेकिन जब भाजपा की सरकार बनी तो जीएसटी लागू कर दिया गया। मोदी अपने शब्दों से पलट गए। संपादकीय में कहा गया है कि नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के फैसलों से अर्थव्यवस्था चौपट हो गई। गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल ने छह अक्टूबर को छोटे और मध्यम व्यापारियों को राहत देने के लिए टैक्स जमा करने के लिए नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। (एजेंसी)