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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले शिंदे गुट पर संजय राउत का हमला, कही ये बड़ी बात

महाराष्ट्र सरकार को लेकर एक बार फिर गहमा गहमी बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा विगत वर्ष 2022 के...
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले शिंदे गुट पर संजय राउत का हमला, कही ये बड़ी बात

महाराष्ट्र सरकार को लेकर एक बार फिर गहमा गहमी बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा विगत वर्ष 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से संबंधित उद्धव ठाकरे और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुटों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगा। इसपर उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने एएनआई से बात करते हुए कहा, "सरकार गिर सकती है।"

निर्णय क्या होगा, इसको लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में अब नेता संजय राउत ने कहा, "मैं महाविकास अघाड़ी का नेता व शिवसेना का एमपी हूं और मुझे लगता है कि सरकार को खतरा है। अगर 16 एमएलए की सदस्यता निरस्त होगी तो बचे हुए 24 की भी निरस्त होगी और सरकार तुरंत गिर जाएगी। ऐसे कैसे हो सकता है कि सरकार को खतरा नहीं है।"

बता दें कि पिछले साल शिंदे के विद्रोह के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तीन-पक्षीय एमवीए सरकार गिर गई थी। इसी सिलसिले में आज मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ उस संकट से संबंधित दलीलों पर अपना फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ द्वारा एकल निर्णय सुनाया जाएगा।

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 16 मार्च को दोनों पक्षों की ओर से 21 फरवरी से नौ दिनों तक चली लंबी बहस के बाद याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ज्ञात हो कि 29 जून 2022 को शीर्ष अदालत ने ठाकरे के नेतृत्व वाली 31 महीने पुरानी एमवीए सरकार को फ्लोर टेस्ट लेने के राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

चूंकि ठाकरे को लगा हार निश्चित है तो उन्होंने शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा सरकार को सत्ता में लाने के लिए इस्तीफा दे दिया। इसके उपरांत 23 अगस्त 2022 को, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कानून के कई प्रश्न तैयार किए थे।

इसके साथ ही सेना के दो गुटों द्वारा दायर पांच-न्यायाधीशों की पीठ की याचिकाओं का उल्लेख भी किया गया था। इनमें दलबदल, विलय और अयोग्यता जैसे कई संवैधानिक प्रश्न खड़े किए गए थे। आपको याद दिला दें कि साल की शुरुआत में ठाकरे गुट को झटका लगा था, जब चुनाव आयोग ने इस शिंदे गुट को असली शिवसेना घोषित करते हुए बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी का धनुष और तीर चिन्ह उन्हें आवंटित किया था।

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