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झारखंड: मजबूत मौजूदगी

आयरन लेडी’ के नाम से ख्यात हो रहीं कल्पना सोरेन ने पति हेमंत के लिए हर तरह से सहारा बनाए रखने का काम...
झारखंड: मजबूत मौजूदगी

आयरन लेडी’ के नाम से ख्यात हो रहीं कल्पना सोरेन ने पति हेमंत के लिए हर तरह से सहारा बनाए रखने का काम किया

पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रांची बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से बाहर निकले, तो पार्टी के दूसरे सहयोगियों और समर्थकों के साथ-साथ पत्‍नी कल्‍पना सोरेन भी स्वागत के लिए मौजूद थीं। संजीदा अंदाज में पति का स्‍वागत किया। कल्पना ने हेमंत सोरेन को तोहफे के रूप में मजबूत जनाधार दिया है। उनकी अनुपस्थिति में कल्पना ने पार्टी के काम को बखूबी संभाला। कल्पना सोरेन ने बहुत-सी चुनौतियों का एक साथ सामना किया। सिर पर संसदीय चुनाव, बड़ी भाभी सीता सोरेन को लेकर घरेलू राजनीतिक किच-किच और पति का जेल जाना। मगर टूटने या कमजोर पड़ने के बदले कल्‍पना सोरेन ने नया अवतार लिया। अपने जन्‍मदिन तीन मार्च के दिन से नया जन्‍म। उन्होंने ससुर शिबू सोरेन का आशीर्वाद लिया और घर की देहरी लांघ राजनीति के मैदान में उतर पड़ीं।

अगले ही दिन चार मार्च को झारखंड मुक्ति मोर्चा के 51वें स्‍थापना दिवस पर ‘आक्रोश दिवस’ पर दिशोम गुरु शिबू सोरेन की कर्मभूमि गिरिडीह के पीरटांड से राजनीति के मैदान में कदम रखा। झंडा मैदान में पहली राजनीति सभा को संबोधित करते हुए कल्पना ने कहा, ‘‘हेमंत सोरेन जब भाजपा के दबाव के आगे नहीं झुके, तो साजिश के तहत उन्हें कुर्सी छोड़ने पर मजबूर किया गया। उन्‍हें जेल में डालकर झारखंडियों के स्‍वाभिमान के साथ खिलवाड़ किया गया।’’ मंच पर उनके आंसू भी छलके, मुट्ठी भी तनी और केंद्र को ललकारा भी। उन्होंने कहा ‘‘झारखंडी झुकेगा नहीं, टूटेगा नहीं।’’ यह नारा लंबे समय तक लोगों और सोशल मीडिया में गूंजता रहा। सरना कोड, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण जैसे हेमंत सोरेन के काम को उन्होंने गिनाया। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन का अपराध बस इतना है कि वे गरीबों के लिए काम कर रहे थे। पहली सभा में ही कल्‍पना सोरेन ने लोगों की भावनाओं को छू लिया और पहचान बना ली। उसके बाद उन्‍होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

यह समय गंभीर चुनौती वाला था क्‍योंकि 18 साल के वैवाहिक जीवन में उन्‍होंने कभी भी राजनीतिक मंच की ओर रुख नहीं किया था। उनकी आवाज ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक पहुंचे इसके लिए हेमंत सोरेन के एक्स हैंडल से पोस्‍ट करना शुरू किया। तीखी धूप में विरासत बचाने के लिए कल्‍पना सोरेन गांव-गांव, शहर-शहर घूमती रहीं। लू के थपेड़ों की परवाह किए बिना चुनावी सभाओं, पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करती रहीं। उन्होंने करीब डेढ़ सौ सभाएं कीं। वे शिबू सोरेन की बड़ी बेटी और ओडिशा झामुमो की अध्‍यक्ष अंजनी सोरेन के मयूरभंज से संसदीय चुनाव नामांकन में भी पहुंचीं।

लंबे समय से राजनीति करते लोगों से कहीं ज्‍यादा भीड़ उन्होंने अपनी सभाओं में खींची। देखते ही देखते उन्होंने स्‍टार प्रचारक की छवि बना ली, जिसका असर चुनावी नतीजों पर भी दिखा। आदिवासियों के लिए आरक्षित खूंटी, लोहरदगा, चाईबासा, दुमका, राजमहल सभी पांच संसदीय सीट इंडिया गठबंधन की झोली में आ गई। पिछले संसदीय चुनाव में जब हेमंत सोरेन मैदान में थे तब भी सिर्फ दो सीट पर ही जीत मिली थी। मुंबई में राहुल गांधी की न्‍याय यात्रा का समापन हो या दिल्‍ली में इंडिया गठबंधन की रैली, कल्‍पना सोरेन को देश की विभिन्‍न पार्टियों के शीर्ष नेताओं के बीच बैठने और संबोधन का मौका मिला। गठबंधन के बड़े नेताओं के बीच उन्होंने जगह बनाई, स्‍वीकृति भी मिली। उसके बाद अप्रैल महीने में इंडिया गठबंधन की झामुमो ने रांची में रैली आयोजित की। एक प्रकार से इस रैली में कल्‍पना सोरेन को विधिवत झामुमो के स्‍टार की तरह लांच कर दिया गया। देश के बड़े नेताओं के आमंत्रण, समन्‍वय का काम वह खुद देखती रहीं।

जब हेमंत सोरेन के जेल जाने की नौबत आई थी, अचानक कल्‍पना सोरेन के नाम की चर्चा तेज हुई। लोग मानने लगे कि बिहार में जिस तरह लालू प्रसाद ने संकट आने पर राबड़ी देवी को मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था, वही किस्‍सा यहां दोहराया जाएगा। लेकिन शिबू सोरेन की बड़ी बहू विधायक सीता सोरेन की बगावत के बाद यह टल गया। कल्पना ने चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए अपने नेतृत्व कौशल का परिचय दिया और अपनी जगह बना ली। गांडेय विधानसभा उपचुनाव का मौका आया, तो कल्‍पना सोरेन को झामुमो के लोगों ने ही मुख्‍यमंत्री के समकक्ष नेता के रूप में पेश किया। उपचुनाव जीत कर कल्‍पना सोरेन ने फिर खुद को साबित किया।

विधायक चुन लिए जाने के बावजूद हेमंत सोरेन या कल्‍पना ने बड़े संयम से काम लिया। चंद महीनों के लिए मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर बैठाने के बदले पार्टी को और मजबूत करने में कल्‍पना की ऊर्जा लगाने का फैसला किया गया। एक सुलझे हुए नेता की तरह गांडेय उपचुनाव जीतने के बाद भी वे गिरीडीह और अपने चुनाव क्षेत्र में जाकर पार्टी के लोगों से मिलती रहीं। पार्टी अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही उन्‍हें पार्टी में बड़ा पद दिया जाएगा। कल्‍पना सोरेन ने इंजीनियरिंग के साथ मैनेजमेंट की पढ़ाई भी की है। यही वजह है कि जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा, तो उनके सुलझे विचारों ने आम लोगों से लेकर बड़े नेताओं को सहज रूप से प्रभावित किया। हेमंत सोरेन अब जमानत पर जेल से बाहर हैं। झारखंड में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। नए तेवर में उभर कर सामने आईं कल्‍पना सोरेन का क्‍या इस्‍तेमाल होगा इसका इंतजार है।

सियासी राहत

झारखंड हाइकोर्ट ने कथित जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत दे दी। हाइकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रथम दृष्टया कोई मामला ही नहीं बनता। फिर भी पिछले पांच महीने से हेमंत सोरेन रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में बंद थे। सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। दरअसल

सोरेन पर जिस जमीन को कब्जाने का आरोप लगाया गया, वह छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के तहत ‘भुईंहरी’ जमीन कहलाती है, जिसे किसी बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है। अदालत में यही दलील उनकी रिहाई का कारण बनी। अब ईडी की दलील है कि हमने गिरफ्तार नहीं किया होता तो हस्तांतरण हो गया होता।

सहानुभूति की आसः साहिबगंज में आदिवासी नायकों सिद्घू-कान्हू के प्रतिमा स्थल पर हेमंत सोरेन

सहानुभूति की आसः साहिबगंज में आदिवासी नायकों सिद्धू-कान्हू के प्रतिमा स्‍थल पर हेमंत सोरेन

यह जमीन हेमंत सोरेन को 2009-10 में पट्टे पर मिली थी और तबसे यह खाली पड़ी हुई है। हालांकि इसे लेकर कहीं कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई थी। लेकिन अप्रैल 2023 में ईडी ने कुछ लोगों के बयान के आधार इस जमीन को हेमंत सोरेन के मालिकाना हक की जमीन बताया था। ईडी अदालत में कोई ठोस सबूत नहीं पेश कर पाई। के पास हेमंत सोरेन के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

झामुमो इसी को मुद्दा बना रही है कि मामला सियासी प्रतिशोध का है। ईडी की तरफ से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पूरा जोर लगाया था कि सोरेन की जमानत याचिका मंजूर न हो। उनका कहना था कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि 8.86 एकड़ जमीन पर हेमंत सोरेन का अवैध कब्जा है। उनका कहना था कि हो सकता है, जमीन के कागजात में हेमंत सोरेन का नाम दर्ज न हो। लेकिन अंततः फैसला हेमंत सोरेने के पक्ष में गया।

इस मामले में पूछताछ के लिए ईडी ने सोरेन को पीएमएलए की धारा 50 के तहत 10 समन भेजे थे। बाद में ईडी मुख्यमंत्री आवास गई और पूछताछ की। उसके बाद सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया। जमीन घोटाला मामले में ईडी दो पहलुओं की जांच कर रही है। एक रांची में सेना की जमीन की अवैध खरीद-फरोख्त, दो आदिवासी जमीन पर कब्जा। ईडी का आरोप है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिये सेना की जमीन बेची गई है। रांची नगर निगम ने सबसे पहले इस मामले में एफआइआर दर्ज कराई थी। ईडी इसी एफआइआर के आधार पर जांच कर रही है।

जमीन घोटाला मामले में 14 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इनमें छवि रंजन नाम के एक आइएएस अधिकारी भी शामिल हैं। रंजन राज्य के समाज कल्याण विभाग के निदेशक और रांची के उपायुक्त रहे हैं।

इस मामले के अलावा ईडी राज्य में अवैध खनन मामले की भी जांच कर रही है। ईडी का शक है कि अवैध खनन से कमाए गए 100 करोड़ रुपये हवाला के जरिए दूसरे राज्यों में भेजे गए हैं। ईडी ने इस मामले में सोरेन के प्रेस सलाहकार और साहिबगंज जिले के कुछ अधिकारियों के घर पर छापे भी मारे थे। ईडी के मुताबिक, छापे में कुछ नकद रकम बरामद हुई थी।

बहरहाल, कुछेक महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले हेमंत के जेल से बाहर आने से झामुमो और इंडिया गठबंधन की उम्मीदें बढ़ गई हैं। संभव है, वे सहानुभूति जगाने की कोशिशें करें।

 

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