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केजरीवाल का संयोजक पद से इस्तीफा

आम आदमी पार्टी (आप) के भीतरी कलह अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। बढ़ती अंतर्कलह से आहत अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को पार्टी के संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफे में लिखा है कि वह केवल दिल्ली पर ध्यान देना चाहते हैं, इसलिए ही यह कदम उठाया है, क्योंकि दोनों जिम्मेदारियां निभाना मुश्किल हो गया है।
केजरीवाल का संयोजक पद से इस्तीफा

लिहाजा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी को यह लिखित इस्तीफा भेज दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता आशुतोष ने भी इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा कि केजरीवाल ने इस्तीफे की पेशकश की है, जिस पर अब पीएसी की बैठक में निर्णय लिया जाएगा।

आज कार्यकारणी की बैठक से निकलने वाले फैसलों पर ही आगे आप का रास्ता तय होगा। फिलहाल, पार्टी पर अरविंद केजरीवाल और उनके करीबी समूह की पकड़ मजबूत बनी हुई है। दूसरे खेमे का मानना है कि केजरीवाल का इस्तीफा दबाव बनाने की रणनीति भी हो सकती है। क्योंकि कार्यकारिणी की इस अहम बैठक में खुद केजरीवाल नहीं रहेंगे। शायद यह अपने आप में एक स्पष्ट संकेत है कि वह सीधे-सीधे इस मामले में शामिल हुए बिना इसे निर्णायक तौर पर निपटाना चाहते हैं। आप के वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण अभी इस तनाव का केंद्र हैं। इन दोनों नेताओं ने पार्टी के भीतर लोकतंत्र के अभाव को लेकर गंभीर सवाल उठाए है। अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय संयोजक के पद से पिछले हफ्ते ही इस्तीफा दे दिया था, जिसे नामंजूर कर दिया गया था।

अरविंद केजरीवाल ने इस पूरे प्रसंग पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह दिल्ली की जनता ने जो भरोसा दिया है, उससे विश्वासघात है। अरविंद केजरीवाल की तरफ से आशुतोष, संजय सिंह और आशीष खेतान लगातार बयान दे रहे हैं और दूसरी तरफ प्रशांत भूषण ने यह स्वीकार किया कि उनका केजरीवाल से संवाद टूट चुका है। योगेंद्र यादव के ऊपर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अरविंद के खिलाफ बयानबाजी की तथा मीडिया में खबरे चलवाई।

दिल्ली में मिले अपार समर्थन के बाद आप में इतनी खुलकर लड़ाई उसके भविष्य को लेकर गंभीर संदेह पैदा करती है। 

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