पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने शुक्रवार को 291 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। इनमें से 42 सीटों पर ममता बनर्जी ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है लेकिन 2016 के बीते विधानसभा चुनाव के मुकाबले काफी कम है। पिछले चुनाव में टीएमसी ने 53 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था जिसमें 35 ने चुनाव जीता था।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी के मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों की काट के लिए टीएमसी ने यह दांव चला है।। हालाँकि, पार्टी ने अनुसूचित जाति के समुदायों से अधिक उम्मीदवारों को मैदान में उतारा। जबकि राज्य में 68 विधानसभा क्षेत्र एससी समुदाय के लोगों के लिए आरक्षित हैं, टीएमसी ने 79 उम्मीदवारों को चुना है। 2011 की जनगणना के अनुसार, एससी ने राज्य की आबादी का 23.5 प्रतिशत हिस्सा बनाया, और इस वर्ष उम्मीदवार सूची में समुदाय की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत रही।
राज्य में असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इसके अलावा इंडियन सेकुलर फ्रंट नाम से नई बनी पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी ने भी लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन के साथ लड़ने का फैसला लिया है। ऐसे में मुस्लिम वोटों के बंटवारे के असर से बचने के लिए ममता बनर्जी ने मुस्लिम की बजाय दलित वोटों पर फोकस करने का फैसला लिया है। ममता बनर्जी के टिकट बंटवारे पर नजर डालें तो साफ है कि उन्होंने मुस्लिम, महिला और दलित वोटों पर फोकस किया है। महिलाओं को 50 टिकट देकर उन्होंने आधी आबादी को टारगेट किया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की। ममता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बंगाल में होने वाली 20 रैलियों पर सवाल किया किया तो उन्होंने ने कहा किवो चाहें 120 रैली कर लें, हम चुनावी जंग के आखिर तक लड़ाई लड़ेंगे। बनर्जी ने कहा कि 50 महिलायें, 42 मुस्लिम उम्मीदवार, 79 अनुसूचित जाति और 17 अनुसूचित जनजाति उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे।
इनपुट-स्निग्देन्दु भट्टाचार्य