महागठबंधन ने तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ और किसानों के समर्थन में शनिवार को मानव श्रृंखला बनाने की घोषणा की है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मानव श्रृंखला के कार्यक्रम में शामिल होने की बात मान ली, लेकिन उन्होंने इसके लिए एक शर्त रखी है। शुक्रवार को मांझी ने ट्वीट कर कहा कि अगर महागठबंधन के नेता किसानों की जमीन लौटा देते हैं तो मैं मानव श्रृंखला में शामिल होने पर विचार कर सकता हूं।
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष मांझी ने ट्वीट किया, 'नौकरी और टिकट के लिए जिन नेताओं ने किसानों से जमीन लिखवाई है, अगर उनसे किसानों की जमीन महागठबंधन के लोग वापिस करवा दें तो मैं भी मानव शृंखला में शामिल होने पर विचार कर सकता हूं। घोर कलयुग आ गया है। नौकरी और टिकट के लिए किसानों की जमीन लिखवाने वाले भी किसानों को न्याय दिलवाएंगें।'
तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने और बिहार में एपीएमसी एक्ट लागू करने की मांग को लेकर महागठबंधन ने 30 जनवरी को मानव श्रृंखला बनाने की घोषणा की है।
इस मुद्दे पर शुक्रवार को महागठबंधन के नेताओं की बैठक के बाद तेजस्वी यादव ने सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बिहार में सरकार का कोई भी कार्यक्रम जमीन पर नहीं उतरा है। यहां केवल कुर्सी बचाने का खेल चल रहा है। ऐसे में जनता को इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में 2006 में ही एपीएमसी कानून को खत्म कर दिया गया था। नीतीश कुमार को सामने आकर बताना चाहिए कि इससे किसानों को लाभ हो रहा है या नहीं। तेजस्वी ने कहा कि बिहार में किसानों की स्थिति दयनीय हो गई है। उन्हें पलायन करना पड़ता है। मजदूर बन के काम करने को मजबूर हैं।