पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा गया है, हुर्रियत कांफ्रेंस अब पाकिस्तान के साथ कश्मीर के बारे में चर्चा करने जा रही है और केंद्र सरकार ने उसे यह रियायत दी है। कल कश्मीर पर मसूद अजहर, दाउद इब्राहिम और (जकीउर रहमान) लखवी के साथ बात होगी। उसने लिखा है, जब रंग गिरगिट से भी ज्यादा तेजी से बदले जाते हैं तो लोग सोच में पड़ जाते हैं कि कैसे वे (मोदी सरकार) ऐसा कर लेते हैं... यदि कांग्रेस ने हुर्रियत और कश्मीर मुद्दों पर ऐसा किया होता तो भाजपा और संघ परिवार ने उसे पाकिस्तान का एजेंट करार दिया होता।
शिवसेना ने संपादकीय में कहा, तब कांग्रेस से कहा गया होता कि वह देश को बेच रही है और मांग की गई होती कि ऐसे देशद्रोही को सत्ता से बेदखल किया जाए। मुखपत्र में कहा गया है, कल तक ही, मोदी सरकार कह रही थी कि वह पाकिस्तान के साथ कश्मीर छोड़ सभी चीजों पर चर्चा करेगी। अब रुख बदल गया है और उसने कमजोर रुख अपना लिया है जो पिछली कांग्रेस सरकार ने भी नहीं किया।
पार्टी ने कहा, वास्तव में, देश को इस रुख परिवर्तन पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। लोगों ने तब ही इस रुख परिवर्तन का संज्ञान ले लिया था जब भाजपा ने पीडीपी से हाथ मिलाया था जो पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति रखती है और जिसने (पीडीपी ने) आतंकवादियों को मजबूत बनाया है।