विधानसभा चुनावों में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने के बाद टीएमसी में शामिल हुए मुकुल राय को पश्चिम बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष बनाने को लेकर राज्य में संवैधानिक संकट मच गया है। तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी मुकुल राय को अध्यक्ष बनाने की जिद पर हैं, वहीं भाजपा का कहना है कि यह पद परंपरागत रूप से केवल विपक्ष को ही मिलना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय को उनके नामांकन पर भाजपा के विरोध के बावजूद शुक्रवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति पीएसी का निर्विरोध सदस्य चुना गया। जिसके बाद भाजपा विधायक दल के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इसे अनैतिक कदम बताया है। उनका कहना है कि उन्होंने पहले ही दलबदल विरोधी कानून के अंतर्गत मुकुल राय की सदस्यता खारिज करने का पत्र विधानसभा अध्यक्ष को दे दिया था।
भाजपा प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अशोक लाहिरी को पीएसी का अध्यक्ष बनाना चाहती है। परंपरागत रूप से पीएसी का अध्यक्ष विपक्ष के किसी नेता को ही दिया जाता है। लेकिन ममता बनर्जी इस पद पर मुकुल राय को रखना चाहती हैं। मुकुल राय भाजपा छोड़कर सत्तारूढ़ टीएसी में शामिल हो चुके हैं।
टीएमसी की जिद
टीएमसी का कहना है कि किसी भी कमेटी के अध्यक्ष की नियुक्ती विधानसभा अध्यक्ष करता है। अब उसकी मरजी वह किसी को भी चुन सकता है। उनके विशेषाधिकार को किसी प्रकार से भी चुनौती नहीं दी जा सकती है। वैसे भी भाजपा की ओर से इस पद के लिए मुकुल, शुभेंदु और लाहिरी समेत 6 विधायकों ने नामांकन पक्ष दाखिल किया है।
बता दें कि रॉय उन 20 विधायकों में शामिल हैं, जिन्होंने बुधवार को पीएसी की सदस्यता के लिए नामांकन दाखिल किया था। पीएसी में 20 सदस्य हैं। सभी 20 उम्मीदवारों के नामांकन वैध पाए गए और उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। 294 सदस्यीय बंगाल विधानसभा में 41 समितियां हैं और पीएसी सदन के ऑडिट वॉचडॉग के रूप में काम करती है।