शिवपाल ने 175 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय कर दिए थे लेकिन पार्टी सूत्रों ने बताया कि अखिलेश ने रविवार को पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव को 403 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की खुद की सूची सौंप दी। इससे पहले अखिलेश ने 24 दिसंबर को अपने आवास पर पहली बार चुने हुए विधायकों से मुलाकात कर उन्हें पार्टी का टिकट देने का वादा किया था।
खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने अगले ही दिन 403 उम्मीदवारों की सूची पिता मुलायम को दे दी। शिवपाल का हालांकि कहना है कि वह 175 उम्मीदवारों के नाम तय कर चुके हैं। साथ ही आगाह किया कि सपा में किसी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी जिससे पार्टी की छवि धूमिल होती हो। शिवपाल ने कहा कि उम्मीदवार की जीत की उम्मीद के अनुसार ही टिकटों का वितरण किया गया है।
इस बीच, पार्टी सूत्रों ने बताया कि मुलायम ही उम्मीदवारों के नामों पर अंतिम फैसला करेंगे। उत्तर प्रदेश की मंत्री जूही सिंह ने टिकट वितरण में किसी तरह के विवाद को नकारते हुए कहा कि यह कोई मुद्दा नहीं है। शिवपाल ने हिंदी में ट्वीट किया कि जीत के हिसाब से ही टिकट बांटे गए हैं। अब तक 175 लोगों को टिकट दिए गए हैं। मुख्यमंत्री का चुनाव विधायक दल करेगा जो पार्टी संविधान के अनुरूप है। पार्टी में किसी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
शिवपाल और अखिलेश के बीच पहले भी विवाद हो चुका है, हालांकि मुलायम ने इसे शांत कराने की पूरी कोशिश की क्योंकि अंदरूनी कलह का चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ने की आशंका थी। समझा जाता है कि अखिलेश ने कानपुर कैंट से अतीक अहमद को प्रत्याशी बनाए जाने का विरोध किया है। अतीक पर हत्या और हत्या के प्रयास सहित 40 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के भाई तथा पत्नी की हत्या के आरोप में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार अमन मणि त्रिपाठी की उम्मीदवारी पर भी अखिलेश को ऐतराज है।
समझा जाता है कि इन नामों को लेकर उन्होंने पिता मुलायम से हस्तक्षेप का आग्रह किया। सपा की अंतर्कलह ने विरोधी दलों को एक बार फिर चुटकी लेने का मौका दे दिया। भाजपा महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने कहा कि यह संकेत है कि सपा में पूरी तरह अव्यवस्था है और इसके बावजूद वह भाजपा से मुकाबला करने की बात करती है। कांग्रेस ने इसे सपा का अंदरूनी मसला बताते हुए कहा कि पूर्व में भी उनमें विवाद हो चुका है।
शिवपाल ने 11 दिसंबर को जब 23 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी, तभी लगने लगा था कि मुख्तार के भाई और अतीक को टिकट देना अखिलेश को नागवार गुजरेगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मिस्टर क्लीन की छवि को लेकर अगले चुनाव में उतर रहे अखिलेश नहीं चाहते कि सपा किसी ऐसे उम्मीदवार को टिकट दे, जो आपराधिक छवि का हो या जिसका आपराधिक इतिहास रहा हो।
टिकट वितरण को लेकर सपा में नई दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। सपा के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव कह चुके हैं कि इस संबंध में उनकी बात आखिरी मानी जाएगी। उनका कहना है कि टिकट पर अंतिम फैसला संसदीय बोर्ड का सदस्य सचिव करता है और वह उसी पद पर हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह उम्मीदवारों के चयन में चाहेंगे कि उनकी बात सुनी जाए। (एजेंसी)