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सिपहसलार ने बिगाड़ा माया का खेल

वेश्या से आपत्तिजनक तुलना के बाद भाजपा पर बिफ़रीं बसपा सुप्रीमो अब एक एक क़दम फूँक फूँक कर रख रही हैं । दरअसल उनकी योजना बिखर रहे अपने दलित वोट बैंक को इस मुद्दे पर संगठित करने की थी मगर उनके ही सिपहसलार नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी और राम अचल राजभर जैसो ने उनका खेल बिगड़ दिया।
सिपहसलार ने बिगाड़ा माया का खेल

प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष दया शंकर सिंह द्वारा अपनी बहन जी के अपमान के बदले श्री सिंह की पत्नी और बेटी को पेश करने की माँग कर बसपाई जैसे अपनी जीती बाज़ी ही उलट बैठे । दया शंकर की पत्नी द्वारा पटल कर यह पूछने पर कि कहाँ पेश होना है, बसपाइयों को सांप सूंघ गया है। उधर , शुरूआती दौर में इस मुद्दे से डरी भाजपा अब सीना तान कर मैदान में है । दया शंकर की पत्नी को विधानसभा का टिकिट तो पार्टी जैसे पक्का किए ही बैठी है साथ ही साथ अब प्रदेश भर में ' बेटी के सम्मान में , भाजपा मैदान में' जैसे नारो के साथ जगह जगह प्रदर्शन भी कर रही है और नसीमुद्दीन के पुतले फूँक रही है।

प्रदेश की राजनीति पर पैनी नज़र रखने वाले भी मानते हैं कि नारी अस्मिता की लड़ाई की आड़ में भाजपा और बसपा दोनो अपने वोट बैंक को साध रहे हैं। भाजपा की नज़र बसपा के नौ फ़ीसदी उस दलित वोट बैंक पर है जो मायावती की अपनी जाति जाटव नहीं है । उसे मोहने के लिए ही भाजपा ने आनन फ़ानन में दया शंकर को पार्टी से निष्काशित किया । अपने इसी वोट बैंक की ख़ातिर मायावती ने इस मामले को गरमाने की योजना बनाई और लखनऊ के बाद प्रदेश भर में रैलियो की घोषणा की थी। मगर स्वाति सिंह के एक बयान से ही बिसात उलट गई ।

मायावती की मजबूरी है कि वह भाजपा की तरह नारी अपमान करने वाले नसीमुद्दीन को पार्टी से निष्कासित नहीं कर सकतीं । आगामी विधानसभा चुनाव उन्हें प्रदेश के इक्कीस फ़ीसदी दलितों के साथ उन्नीस फ़ीसदी मुस्लिमो को जोड़ कर ही लड़ना है । नसीमुद्दीन के ख़िलाफ़ कार्रवाई से मुस्लिमों में ग़लत संदेश जा सकता है । जातिगत समीकरणों के दम पर ही राजनीति करने वाली मायावती के समक्ष एक ख़तरा अब ठाकुर मतदाताओं के नाराज़ होने का भी है । मायावती प्रदेश की दो दर्जन से अधिक ठाकुर बहुल सीटों पर इसी जाति के प्रत्याशी खड़े करने वाली थीं मगर स्वाति के बयान के बाद ठाकुर मतदाता बसपा से ख़फ़ा हैं । पार्टी के ठाकुर समाज के कोऑर्डिनेटर अजय सिंह में भी पार्टी छोड़ दी है। ऐसे में बसपा का अगडी जातियों को जोड़ने की योजना को झटका लगा है ।

माना जा रहा है कि पार्टी एक बार फिर तेरह फ़ीसदी ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने की सोच रही है । पिछला विधानसभा चुनाव पार्टी ने दलित-मुस्लिम और ब्राह्मण वोटों के दम पर ही जीता था । असमंज़स में फंसी मायावती ने फ़िलहाल अपने अपमान के मुद्दे पर बुलाई गई सभी रैलियां रद्द कर दी हैं और वह अब एक एक क़दम सोच समझ कर रख रही हैं । पार्टी सूत्र बताते हैं की बहन जी ने नसीमुद्दीन और राजभर को फटकार लगाई है और भविष्य में किसी भी रैली में लगने वाले नारों की सूची पहले उन्हें दिखाने को कहा है । बहन जी की इच्छा इस मुद्दे पर भाजपा और सपा दोनो को निपटाने की है अतः सार्वजनिक रूप से वह भाजपा और सपा की मिली भगत के बयान ही दे रही हैं ।

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