केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (अफस्पा)को वापस लेने पर विचार करेगी।
शाह ने जेके मीडिया ग्रुप के साथ एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि सरकार की योजना केंद्र शासित प्रदेश में सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को अकेले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सरकार की योजना जम्मू-कश्मीर से सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले करने की है। उन्होंने कहा कि पहले, जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वे अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। वहीं, अमित शाह ने ये भी कहा कि हम अफस्पा हटाने के बारे में भी सोचेंगे।
गृह मंत्री अमित शाह ने इंटरव्यू के दौरान दावा करते हुए कहा कि सितंबर महीने से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव आयोजित होंगे। शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा। शाह ने कुछ दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में अब लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा। यह लोगों का लोकतंत्र होगा।
जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जाति (एससी),अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण पर गृह मंत्री शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के ओबीसी को पहली बार मोदी सरकार ने आरक्षण दिया है। इसके अलावा महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण दिया गया। हमने एससी और एसटी के लिए जगह बनाई है। गुज्जर और बकरवालों की हिस्सेदारी कम किए बिना, पहाड़ियों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापित लोगों को समायोजित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि ये लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचे।