सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करने के लिए जनता परिवार ने एकजुटता दिखाई थी। समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड, इंडियन नेशनल लोकदल जैस छह दलों ने एकजुट होकर नए दल का खांका तैयार किया था। लेकिन चुनाव से पहले ही इस बिखराव ने राजद-जदयू गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी। सपा अब बिहार में अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। इससे पहले सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की तो इस बात का अंदाजा हो गया था कि सपा कोई बड़ा निर्णय लेने जा रही है और हुआ भी वहीं। गुरुवार को सपा ने एलान कर दिया। जबकि गठबंधन में सपा को पांच सीटें दी गई थी। रामगोपान ने कहा कि जनता परिवार के एकजुट होने का मतलब यह नहीं हो सकता कि सपा का अस्तित्व ही खत्म हो जाए। उन्होने कहा कि सपा का अपमान किया गया है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सपा के अलग होने से भाजपा फायदे में रहेगी। क्योंकि जिन सीटों पर राजद और जदयू के उम्मीदवार होंगे वहां सपा अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी। ऐसे में कुछ वोट सपा के पक्ष में गए तो भाजपा फायदे में रहेगी। सपा से जुड़े एक बड़े नेता के मुताबिक पार्टी के इस निर्णय से भाजपा को फायदा होगा। सपा भले ही उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में फायदे में नहीं रही हो लेकिन उम्मीदवार खड़ा करके भाजपा को फायदा पहुंचाती रही है। सपा के अलग होने के बाद राजद और जदयू की क्या रणनीति होगी इसको लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है।