शिवसेना (यूबीटी) ने महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर नए सिरे से हमला करते हुए उन्हें बुधवार को एक बार फिर ‘दागी’ करार दिया और आरोप लगाया कि वह राज्य में सांस्कृतिक दरिद्रता लाने वालों की ‘ओछी’ वकालत कर रहे हैं।
शिवसेना (यूबीटी) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में फडणवीस से पूछा कि उनकी सरकार में शामिल हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार, छगन भुजबल, प्रफुल्ल पटेल और हसन मुशरिफ दागी हैं या बेदाग हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व में पवार और मुशरिफ के ठिकानों पर धन शोधन के मामलों में छापेमारी की थी।
संपादकीय में पार्टी ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना के विधायकों के खिलाफ दर्ज उन मामलों की स्थिति के बारे में भी पूछा जिनकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है।
पार्टी ने कहा, ‘‘जिन्हें महाराष्ट्र की संस्कृति और परंपराओं के बारे में पता नहीं है वे सत्ता में है। फडणवीस उनकी ओछी वकालत कर रहे है जो राज्य में सांस्कृतिक दरिद्रता को बढ़ावा दे रहे हैं। इसलिए वह दागी हैं।’’
सामना ने लिखा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दौर वाली पार्टी नहीं है और यहां तक उसका वैचारिक मार्गदर्शक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी संघ के मूल विचार के साथ नहीं है।
नागपुर में सोमवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा था कि फडणवीस इस शहर के लिए ‘दाग’ हैं क्योंकि उन्होंने राकांपा के उस धड़े के साथ समझौता किया है जिनके साथ वे कभी नहीं जाने की बात करते थे।
उन्होंने फडणवीस के पुराने बयान का ऑडियो क्लिप भी सुनाया जिसमें उन्होंने कहा था कि वह राकांपा से कभी हाथ नहीं मिलाएंगे। ठाकरे ने कहा कि भाजपा नेता के लिए न का मतलब हां है।
इसपर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए फडणवीस ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे को मनोचिकित्सक की जरूरत है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि जिन लोगों ने शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के आदर्शों को त्याग दिया है और जो स्वयं ‘दागी’ हैं वे फडणवीस को ‘दागी’ कह रहे हैं।