सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को सूचित किया गया कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता वी सेंथिल बालाजी ने तमिलनाडु सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और राज्यपाल ने उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से न्यायालय में पेश राजभवन प्रेस विज्ञप्ति का संज्ञान लिया।
जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने तमिलनाडु राजभवन की प्रेस विज्ञप्ति का अवलोकन किया। इसे राज्य सरकार ने अदालत में पेश किया था। पीठ ने कहा कि हमें एक प्रेस विज्ञप्ति सौंपी गई है, जिसमें दर्ज है कि उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया है जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया है। इसलिए अब इस आवेदन पर विचार करने का कोई अवसर नहीं है। वहीं कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी होने तक बालाजी को पद पर बने रहने से रोकने की ईडी की याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने डीएमके नेता वी सेंथिल बालाजी से 23 अप्रैल को कहा कि उन्हें पद और आजादी में से किसी एक को चुनना होगा। शीर्ष अदालत ने उन्हें चेतावनी दी कि यदि उन्होंने तमिलनाडु में मंत्री पद नहीं छोड़ा तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी। जस्टिस अभय एस ओका व जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि नौकरी के लिए नकदी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत के कुछ दिनों बाद ही बालाजी को तमिलनाडु के कैबिनेट मंत्री के रूप में बहाल कर दिया गया था।